Thursday, July 17, 2008

इंतजार 22 जुलाई का, 'अपनों' से ही खतरा

लेफ्ट पार्टियों की समर्थन वापसी के बाद बहुमत साबित करने को लेकर एक समय आश्वस्त दिख रहा यूपीए अब घबराहट में है। जैसे-जैसे शक्ति परीक्षण की तारीख 22 जुलाई नज़दीक आती जा रही है कांग्रेस के लिए अपने घर से ही मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दूसरी तरफ शिबू सोरेन और अजित सिंह ने भी समर्थन का अब तक कोई आश्वासन नहीं दिया है। दोनों ही क्षत्रप कोई भी वादा करने से पहले नफा-नुकसान का पूरी तरह से आकलन कर लेना चाहते हैं। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि वह सरकार बचाने के लिए छोटी-छोटी पार्टियों और निर्दलीयों पर डोरे डाल रही है लेकिन उसके ' घर ' से ही लोग छिटक रहे हैं। भिवानी से कांग्रेस के निलंबित सांसद कुलदीप विश्नोई पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि वह किसी भी कीमत पर विश्वास मत के दौरान सरकार के साथ वोट नहीं करेंगे। अब कर्नाटक से भी पार्टी के चार सांसद बीजेपी के संपर्क में हैं और पूरी ' कीमत ' मिलने पर सरकार के खिलाफ वोट कर सकते हैं। ये हैं- चिकबल्लापुर के सांसद आर.एल. जलप्पा , मंड्या के सांसद एम.एच.अंबरीश , कनकपुरा की सांसद तेजस्विनी गौड़ा और कोप्पल से के. वीरूपाकशप्पा। जलप्पा के बेटे और डोडाबल्लापुर से कांग्रेस के विधायक रहे जे. नरसिम्हा स्वामी 10 दिन पहले ही पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। नरसिम्हा स्वामी अब इसी सीट से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। कर्नाटक में पार्टी को गच्चा देने के लिए तैयार बैठे चारों सांसद बीजेपी से अगले लोकसभा चुनाव में टिकट का स्पष्ट आश्वसन चाहते हैं। बीजेपी के लिए अच्छी स्थिति यह है कि इन चारों ही इलाकों में न तो उसका खास जनाधार है और न ही कोई बड़ा नेता। असम के बरपेटा से सांसद ए. एफ. गुलाम उस्मानी के बारे में भी कहा जा रहा है कि वह अंतिम समय में पार्टी को धोखा दे सकते हैं लेकिन उन्होंने साफ किया है कि वह सरकार के पक्ष में ही वोट डालेंगे। उन्होंने एक स्थानीय दैनिक से कहा कि मैं मुख्यमंत्री तरुण गगोई का विरोधी हूं , इसलिए यह बात फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वह 19 तारीख को दिल्ली पहुंच रहे हैं और सोनिया गांधी के सामने अपनी बात रखेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पास वीरप्पा मोइली और प्रणव मुखर्जी का फोन आया था और उन्होंने उन्हें आश्वस्त कर दिया है कि वह पार्टी और सरकार के साथ हैं। इस उलझे हुए गणित में जिस आदमी की सबसे ज़्यादा अहमियत है वह हैं पांच सांसदों वाली पार्टी जेएमएम के मुखिया शिबू सोरेन। लिहाज़ा दोनों खेमों से उन्हें अपने पाले में लाए जाने की पुरज़ोर कोशिश चल रही है। सूत्रों के अनुसार यूपीए ने जेएमएम के मुखिया शिबू सोरेन को कोयला मंत्रालय के अलावा उनकी पार्टी के एक और सांसद को राज्यमंत्री बनाने की पेशकश की है। दूसरी तरफ बीजेपी ने उन्हें विश्वास मत के दौरान एनडीए के साथ वोट करने पर झारखंड में मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की है। गौरतलब है कि झारखंड में एनडीए के 35 और जेएमएम के 17 विधायक हैं। जबकि सरकार बनाने के लिए 41 विधायक ही चाहिए। साफ है कि शिबू सोरेन के दोनों हाथों में लड्डू हैं और वह कोई भी फैसला करने से पहले स्थिति का आकलन कर लेना चाहते हैं। सोरेन के मन में यह बात चल रही होगी कि अगर उनकी पार्टी के वोटों के बाद भी यूपीए सरकार विश्वास मत में हार गई तो उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा। सोरेन 18 जुलाई को दिल्ली पहुंच रहे हैं और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे। आरएलडी के तीन सांसदों के समर्थन के लिए कांग्रेस ने अजित सिंह के सामने लखनऊ के अमौसी एअरपोर्ट का नाम बदलकर स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के नाम पर रखने का प्रस्ताव रखा है , पर इससे भी उनका दिल नहीं पसीजा है। अजित सिंह ने गुरुवार को कहा , ' विश्वास प्रस्ताव की स्थिति परमाणु करार को लेकर ज़रूर बनी , लेकिन आज इसका स्थान आने वाले चुनाव ने ले लिया है। हम इन सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद कोई फैसला करेंगे। ' साफ है कि छोटे चौधरी के दिमाग में अगला लोकसभा चुनाव है और वह कोई भी फैसला इसी आधार पर करेंगे। सरकार बचाने के लिए कांग्रेस की उम्मीदें अब भी वीरेंद्र कुमार को छोड़कर जेडी (एस) के 2 , नैशनल कॉन्फ्रंस के 2 के अलावा एक-एक सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस , मिजो नैशनल फ्रंट , नगालैंड पीपल्स फ्रंट , एआईएमआईएम और 4 निर्दलीय सांसदों पर टिकी हैं। इन तमाम आकलनों के बावजूद 22 जुलाई को जब सस्पेंस पर से पर्दा उठेगा तो चौंकाना वाला नतीजा सामने आ सकता है। क्योंकि किसी का कोई पाला बदलेगा तो कोई वोट के वक्त गैरहाज़िर होगा। न केवल सांसद बल्कि पार्टियां भी अंतिम समय में पाला बदल सकती हैं।

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