Sunday, August 3, 2008
भारत का धमाका, श्रीलंका पर जीत
सलामी बल्लेबाज वीरेद्र सहवाग के साहस और अनुभवी स्पिनर हरभजन सिंह की अंगुलियों के जादू व तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा की तेजी के तीखेपन के दम पर भारत ने रविवार को दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन ही श्रीलंका को 170 रन से करारी शिकस्त देकर कोलंबो में मिली शर्मनाक हार का बदला चुकता कर दिया।
भारत ने अपनी दूसरी पारी में 269 बनाकर श्रीलंका के सामने लगभग दो दिन में 307 रन बनाने का लक्ष्य रखा लेकिन हरभजन ने 51 रन देकर चार और ईशांत ने 20 रन के एवज में तीन विकेट लेकर श्रीलंकाई टीम को 47.3 ओवर में केवल 136 रन ढेर करके तीन टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर कर दी। श्रीलंका ने कोलंबो में पहला टेस्ट पारी और 239 रन से जीता था लेकिन गाले में उसकी एक नहीं चली जहां भारत ने पहली बार जीत दर्ज की। यह भारतीय टीम की श्रीलंकाई सरजमीं पर तीसरी और अपने इस प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 11वीं जीत है।
गाले इंटरनेशनल स्टेडियम की पिच पर चौथी सुबह ही बल्लेबाजी करना आसान नहीं था लेकिन वीरेंद्र सहवाग [नाबाद 201 और 50 रन] की बेहतरीन बल्लेबाजी से भारत इतनी अच्छी स्थिति में पहुंच गया था कि उसके लिए यह सकारात्मक साबित हुआ। चौथे दिन कुल 16 विकेट गिरे और केवल श्रीलंकाई बल्लेबाज थिलन समरवीरा ही टिक कर गेंदबाजों का डटकर सामना कर पाए। वह आखिर में 67 रन बनाकर नाबाद रहे।
भारत ने सुबह 69 रन के अंदर अपने बचे हुए छह विकेट गंवाए लेकिन पिच बल्लेबाजों के लिए खतरनाक हो गई थी और भारतीयों ने इसका पूरा फायदा उठाया। माइकल वेंडोर्ट का जहीर खान के पहले ओवर में कैच छूटा लेकिन यह महंगा साबित नहीं हुआ तथा भारत के नई गेंद के गेंदबाजों ने पिच से मिल रही स्विंग से श्रीलंकाई बल्लेबाजों का जीना मुहाल कर दिया था। ईशांत ने शानदार फार्म में चल रहे मलिंडा वर्नापुरा को खाता भी नहीं खोलने दिया और वीवीएस लक्ष्मण के हाथों कैच कराया।
जहीर खान ने आईसीसी रैकिंग में नंबर एक बल्लेबाज कुमार संगकारा को तेजी से उठती गेंद पर लक्ष्मण को कैच देने के लिए मजबूर किया जबकि ईशांत ने जल्द ही कप्तान महेला जयवर्धने का कीमती विकेट लेकर श्रीलंका का स्कोर तीन विकेट पर दस रन कर दिया। पहली पारी में छह विकेट लेने वाले हरभजन ने यहीं से अपनी अंगुलियों का जादू दिखाया तथा मैच में 153 रन देकर दस विकेट लिए। यह पांचवां अवसर है जबकि उन्होंने किसी मैच में दस विकेट हासिल किए।
इस ऑफ स्पिनर ने वेंडोर्ट को पगबाधा आउट करके दूसरी पारी में अपने विकेटों का खाता खोला। इसके बाद समरवीरा और तिलकरत्ने दिलशान [38] ने पांचवें विकेट के लिए 76 रन की भागीदारी करके कुछ देर तक विकेट गिरने का क्रम रोके रखा। दिलशान जब 17 रन पर थे तब हरभजन को उनका विकेट भी मिल जाता लेकिन विकेटकीपर दिनेश कार्तिक कैच नहीं ले पाए। चाय के विश्राम के बाद कप्तान अनिल कुंबले ने फिर से ईशांत को गेंद थामी तथा दिल्ली के इस तेज गेंदबाज ने दिलशान को आउट करके भारत को चौथे दिन ही जीत का स्वाद चखने का मौका दिया।
ईशांत की अच्छी लेंथ से बाहर की ओर जाती गेंद को दिलशान ने बैकफुट पर जाकर रक्षात्मक रूप से खेलना चाहा लेकिन वह उनके बल्ले को चूमती हुई विकेट के पीछे चली गई और इस बार कार्तिक ने कोई गलती नहीं की। हरभजन और कुंबले के सामने पुछल्ले बल्लेबाज थे। प्रसन्ना जयवर्धने [4] एक बार तो हरभजन की गेंद पर रेफरल के कारण पगबाधा आउट होने से बच गए लेकिन अगली बार गेंद सीधी जा रही थी और बल्लेबाज के पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
हरभजन ने अपने अगले दो ओवर में चमिंडा वास और मेंडिस को आउट करके मैच में दस विकेट पूरे किए जबकि कुंबले ने नुवान कुलशेखरा को आउट करने के बाद जैसे ही मुथैया मुरलीधरन को अपनी गेंद पर कैच किया भारतीय खिलाड़ी खुशी से उछल पड़े। दूसरे छोर पर समरवीरा 217 मिनट तक क्रीज पर टिके रहे और उन्होंने 126 गेंद खेली तथा आठ चौके लगाए। पहले मैच में करारी हार के बाद भारत के लिए यह जीत बहुत जरूरी हो गई थी लेकिन उसके लिए आसान नहीं रही। मैन ऑफ द मैच वीरेंद्र सहवाग और उनके साथी सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को छोड़कर बाकी सभी भारतीय बल्लेबाज असफल रहे लेकिन गेंदबाजों ने दोनों पारियों में अपनी छाप छोड़ी।
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