Thursday, June 5, 2008

बोल्ड दृश्यों के लिए तैयार : हृषिता भट्ट


हृषिता भट्ट जिस काम के लिए अब तैयार हैं वो करियर के शुरुआत में ही कर लेतीं तो हो सकता है कि वे कामयाब नायिकाओं में से एक होतीं। अपने आरंभिक दौर में हृषिता ने अंग प्रदर्शन से परहेज किया। निर्माता-निर्देशक उन नायिकाओं को अपनी फिल्मों में लेना पसंद नहीं करते जो अभिनय कम और नखरे ज्यादा दिखाती हों। बॉलीवुड में हृषिता की शुरुआत बेहतरीन तरीके से हुई थी। उन्हें पहली ही फिल्म ‘अशोका’ में शाहरुख खान के साथ काम करने को मिला। ‘शरारत’ में वे अभिषेक की नायिक बनीं, लेकिन इसका फायदा वे नहीं ले सकीं।हालाँकि हृषिता को कुछ फिल्में मिलीं, लेकिन उनके फ्लॉप होते ही वे भी गुमनामी के अँधेरों में खोने लगीं। पढ़ाई के नाम पर वे दो वर्ष गायब रहीं। जब वे बॉलीवुड में आईं तब तक ढेर सारी नई नायिकाएँ आ चुकी थीं। बॉलीवुड में यूँ भी वापसी करना बेहद मुश्किल रहता है और हृषिता पर तो फ्लॉप नायिका का ठप्पा लग चुका था। बॉलीवुड में नायिकाओं का करियर बहुत छोटा रहता है। हृषिता की पहली फिल्म को प्रदर्शित हुए लगभग सात वर्ष हो गए हैं। परिस्थिति को देख हृषिता अंग प्रदर्शन के लिए तैयार हो गईं। उन्होंने सेक्सी अंदाज में कुछ तस्वीरें खिंचवाई हैं, ताकि निर्माताओं का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो तथा बॉलीवुड में यह संदेश जाए कि वे भी बोल्ड भूमिकाओं के लिए तैयार हैं। वे कहने भी लगी हैं कि कहानी की माँग हो तो वे बोल्ड दृश्यों के लिए तैयार हैं, लेकिन शायद अब देर हो गई है।
IFMहाल ही हृषिता की बहुत दिनों से अटकी फिल्म ‘डॉन मुत्थुस्वामी’ प्रदर्शित हुई और बिना कोई असर छोड़े सिनेमाघरों से बेहद अल्प समय में विदा हो गई। ‘जुगाड़’ नामक फिल्म में वे मनोज वाजपेयी की नायिका बनी हैं। हृषिता हर तरह की भूमिकाओं के लिए तैयार हैं, देखना है कि उनकी इस अदा से कितने निर्माता-निर्देशक प्रभावित होते हैं।

खलनायिका बनीं नेहा

source : sulekha
कभी अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाली नेहा धूपिया इन दिनों स्वयं को अच्छी अभिनेत्री साबित करने की कोशिश में व्यस्त हैं। दरअसल, ग्लैमरस छवि से बाहर निकलकर वे अब प्रयोग करने में व्यस्त हैं। कहते हैं, मिथ्या जैसी ऑफबीट फिल्म का हिस्सा बनने के बाद उन्हें मिली प्रशंसा से नेहा का हौंसला और ज्यादा बढ़ गया है।
दरअसल, अच्छी और हटके काम करना चाहती हैं नेहा। उनके प्रयास की अगली कड़ी है अनीस बज्मी निर्देशित फिल्म सिंह इज किंग। ऐसी चर्चा है कि अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ अभिनीत इस
फिल्म वे खल-भूमिका निभा रही हैं, लेकिन नेहा इस बारे में अभी कुछ भी बताना नहीं चाहतीं। हां, वे इतना जरूर कहती हैं, फिलहाल मैं इतना ही कह सकती हूं कि सिंह इज किंग में मेरी भूमिका काफी इंटरेस्टिंग है, जिसे निभाने में मुझे बेहद मजा आया।
व्यस्तता की चर्चा चलते ही नेहा कहती हैं, बहुत काम है। रिलैक्स करने के लिए थोड़ा भी समय नहीं मिल पा रहा है, लेकिन सच तो यह है कि थकान के बावजूद मैं अपनी व्यस्तता को एंज्वॉय कर रही हूं। मेरा ध्यान अब अपनी अभिनय क्षमता को निखारने और संवारने पर केंद्रित है।
फिल्म सिंह इज किंग के अतिरिक्त नेहा की दूसरी आने वाली फिल्मों में सौरभ शुक्ला की आई एम 24, रजत कपूर अभिनीत और सौरभ शुक्ला निर्देशित फिल्म रात गई बात गई और शिवम नायर निर्देशित अष्टविनायक की महारथी उल्लेखनीय हैं।
ग्लैमर गर्ल की इमेज से बाहर निकलकर अच्छी अभिनेत्री के रूप में खुद को स्थापित करने का नेहा का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन अब यह भी देखना रोचक होगा कि नेहा का यह प्रयास दर्शकों को कितना पसंद आता है!

स्थायी क्रम चाहते है उथप्पा

कभी शीर्ष और कभी मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाले रोबिन उथप्पा अब एक दिवसीय टीम में स्थायी क्रम पर खेलने के लिए बेताब है और उनका मानना है कि इससे उन्हें टेस्ट टीम में शामिल होने में मदद मिलेगी।
उथप्पा ने हालांकि कहा, 'मैंने आक्रामक बल्लेबाज के रूप में पहचान बना ली है और मुझमें टेस्ट टीम में स्थान बनाने के लिए जरूरी धैर्य और तकनीक भी मौजूद है। मुझे उम्मीद है कि अगले सत्र में मैं टेस्ट टीम में जगह बनाने में कामयाब हो जाऊंगा।' उन्होंने बताया कि एक दिवसीय मैचों में मैं शीर्ष और निचले क्रम में बल्लेबाजी कर रहा हूं। मुझे बल्लेबाजी के लिए कोई स्थायी स्थान नहीं मिला है और अगर ऐसा हो जाए तो मुझे उम्मीद है कि मैं अच्छा प्रदर्शन करूंगा और खेल के लंबे प्रारूप में जगह बनाने में सफल रहूंगा। उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि साल के अंत में या फिर अगले सत्र में शायद मैं ऐसा करने में कामयाब रहूंगा।'
उथप्पा इस बात से सहमत है कि टेस्ट क्रिकेट में खेलना बिलकुल नई चुनौती होती है लेकिन उनका मानना है कि उन्हें क्रिकेट के इस प्रारूप में सांमजस्य बिठाने के लिए सिर्फ थोड़ा प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, 'टेस्ट क्रिकेट बिलकुल अलग तरह का क्रिकेट है। इसमें सिर्फ एक बदलाव करना होता है कि आपको अपने शॉट चयन में थोड़ा तालमेल बिठाना होता है।'
इंडियन प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस की टीम में खेलने वाले उथप्पा ने कहा, 'अगर कोई अपने शॉट को चुनने में सफल हो जाता है तो टेस्ट क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन से उसे कोई नहीं रोक सकता।' उथप्पा ने उन बातों को खारिज कर दिया कि वह टेस्ट क्रिकेट के लिए काफी आक्रामक है और उन्होंने एडम गिलक्रिस्ट तथा मैथ्यू हेडन की आस्ट्रेलियाई जोड़ी का उदाहरण दिया। इन दोनों खिलाड़ियों ने टेस्ट में काफी शानदार प्रदर्शन किया है। आईपीएल के अनुभव के बारे में उन्होंने कहा, 'सचिन तेंदुलकर, शान पोलाक और सनथ जयसूर्या जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम में रहना एक शानदार अनुभव रहा।'

Monday, June 2, 2008

राजस्थान की शाही जीत

कहते हैं भाग्य उन्हीं का साथ देता है जो कर्मवीर होते हैं और रविवार को भाग्य कभी हार न मानने वाले यूसुफ पठान के साथ था जिनके चमत्कारिक खेल से राजस्थान रॉयल्स ने दिल की धड़कन थाम देने वाले फाइनल में चेन्नई सुपर किंग्स पर तीन विकेट की जीत के साथ इंडियन प्रीमियर लीग का पहला चैंपियन बना दिया।
पठान ने पहले गेंदबाजी में कमाल दिखाया और केवल 22 रन देकर चेन्नई सुपर किंग्स के चोटी के तीन विकेट लिए। चेन्नई ने हालांकि सुरेश रैना [43], पार्थिव पटेल [38] और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी [नाबाद 29] के उपयोगी योगदान से पांच विकेट पर 163 रन बनाए। रैना को हालांकि इस बात का अफसोस लंबे समय तक रहेगा कि जब पठान 13 रन पर थे तब इस खतरनाक बल्लेबाज का कैच कैसे छूट गया। पठान ने इसका पूरा फायदा उठाया और 39 गेंद पर 56 रन की पारी खेलकर आईपीएल के इतिहास में राजस्थान रॉयल्स का नाम अमर कर दिया। सोहेल तनवीर ने अंतिम गेंद पर विजयी रन बनाकर रॉयल्स का स्कोर सात विकेट पर 164 रन पहुंचाया।
आईपीएल की बोली में सबसे कम कीमत पर बिकी राजस्थान रॉयल्स को शेन वार्न ने अजेय बना दिया। जब टीम को जीत मिली तब वह एक छोर पर बल्लेबाजी कर रहे थे। रॉयल्स को विजेता के तौर पर चार करोड़ 80 लाख रुपये मिलेंगे। चेन्नई सुपर किंग्स को आशा थी कि महेंद्र सिंह धोनी की परी कथा उन्हें शिखर पर पहुंचाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसे दो लाख 40 हजार से ही संतोष करना पड़ा।
पठान उस समय आउट हो गए जब टीम को जीत के लिए 14 गेंद पर 21 रन की जरूरत थी। अंतिम दो ओवर में 18 रन चाहिए थे। मखाया एंटिनी के 19वें ओवर में दस रन बने जिसमें वार्न का चौका शामिल है। अब मामला छह गेंद और आठ रन पर था। लक्ष्मीपति बालाजी की पहली तीन गेंद पर दो रन बने लेकिन अगली गेंद वाइड हुई और एक रन भी बना। चौथी गेंद पर एक और पांचवीं पर दो रन बनने से स्कोर बराबर हो गया। गेंदबाजी में सर्वाधिक विकेट लेकर पर्पल कैप के हकदार बने तनवीर ने कवर पर विजयी रन लेकर 45 दिन तक चली कहानी का रोमांचक अंत किया।
दोनों सेमीफाइनल एकतरफा रहे थे लेकिन फाइनल में दर्शकों को असली मजा दिया। मैच उतार-चढ़ाव से भरा रहा लेकिन कहना होगा कि भाग्य पूरी तरह से रॉयल्स के साथ क्योंकि एक समय उसका स्कोर तीन विकेट पर 43 रन था जिसके बाद पठान और शेन वाटसन ने 66 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी की। ग्रीम स्मिथ मांसपेशियों में खिंचाव के कारण इस महत्वपूर्ण मैच में नहीं खेल पाए। स्वप्निल असनोदकर के साथ पारी की शुरुआत करने के लिए उतरे नीरज पटेल ने मनप्रीत गोनी की गेंद अपने विकेट पर मारने से पहले 11 गेंद पर केवल दो रन बनाए। असनोदकर ने गोनी के दूसरे ओवर में दो बार गेंद सीमा रेखा पार पहुंचाई। उन्होंने बाद में एंटिनी की गेंद पर भी चौका जमाया लेकिन जब मोर्केल आए तो उनकी ऑफ स्टंप से बाहर जाती पहली गेंद पर ही प्वाइंट पर खड़े रैना को सीधा कैच थमा दिया। असनोदकर ने 20 गेंद पर 28 रन बनाए जिसमें चार चौके शामिल हैं। मोर्केल के इसी ओवर में कामरान अकमल मिड आन से एंटिनी के सीधे थ्रो पर रन आउट हो गए।
मोर्केल का अगला ओवर भी घटना प्रधान रहा। उनकी शॉर्ट पिच पठान के हेलमेट से लगकर विकेटकीपर पटेल के दस्तानों में समा गई। चेन्नई की टीम को लगा कि उन्हें विकेट मिल गया है लेकिन अंपायर बिली बोडेन अपनी जगह से नहीं हिले। धोनी ने उनसे बात भी की क्योंकि बोडेन लेग बाई देना भूल गए थे। बालाजी के ओवर में 14 रन लेकर वापसी करने वाले रॉयल्स ने तब बड़ी राहत की सांस ली जब पठान ने मुथैया मुरलीधरन की गेंद डीप मिड विकेट के ऊपर से खेलने के प्रयास में हवा में उछाल दी लेकिन अपने क्षेत्ररक्षण के लिए मशहूर रैना इसे नहीं पकड़ पाए। तब पठान 13 रन पर थे।
पठान ने इसके बाद मुरलीधरन के अगले ओवर में लगातार दो छक्के जमाए लेकिन किस्मत उनके साथ थी और जब वह 33 रन पर थे तब गोनी ने अपनी गेंद पर उनका कैच छोड़ दिया। मुरलीधरन ने हालांकि अपने तीसरे ओवर में वाटसन [28] को बोल्ड कर दिया। उन्होंने 19 गेंद पर तीन चौके जमाए। मोहम्मद कैफ [12] ने ओवर की पहली गेंद छह रन के लिए भेजी लेकिन अंतिम गेंद पर वह धोनी को कैच देकर पवेलियन लौट गए। मोर्केल का अंतिम ओवर भी घटना प्रधान रहा। रविंदर जडेजा पहली गेंद पर आउट हुए जबकि तीसरी गेंद पर रन आउट होने से बाल-बाल बचे पठान अगली गेंद पर रैना के सीधे थ्रो पर रन आउट हो गए। उन्होंने 39 गेंद पर तीन चौके और चार छक्के लगाए। वार्न ने ऐसे में पूरी जिम्मेदारी संभाली और तनवीर पर भी दबाव नहीं बनने दिया।
इससे पहले वार्न ने टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण लेने के बाद गेंदबाजी में चतुराई भरे बदलाव किए जिसका उन्हें फायदा भी मिला। डीवाई पाटिल स्टेडियम की पिच धीमा खेल रही थी और शुरू में पार्थिव पटेल के खिलाफ पगबाधा की दो विश्वसनीय अपील भी हुई। पटेल ने तनवीर के पहले ओवर में स्क्वायर और फिर शेन वाटसन की गेंद कवर में चार रन के लिए भेजी। दूसरे सलामी बल्लेबाज एस विद्युत [16] वाटसन के अगले ओवर में चौका और थर्ड मैन पर छक्का जमाया। वार्न का ऐसे मौके पर पठान को गेंद सौंपना अच्छा फैसला हुआ जिनकी गेंद पर रविंदर जडेजा ने डीप मिडविकेट पर विद्युत का बेहतरीन कैच लपका।
पठान को जल्द ही जब दूसरे स्पैल के लिए लाया गया तो उन्होंने पटेल को भी पवेलियन भेज दिया। विकेटकीपर अकमल स्टंप करने से चूक गए लेकिन गेंद पटेल के बल्ले से लगकर गई थी और अकमल ने तीसरे प्रयास में उसे अपने दस्तानों में थाम दिया। पटेल ने 33 गेंद का सामना किया और पांच चौके लगाए। रैना ने वार्न के दूसरे ओवर में लांग आन पर अपना पहला छक्का जड़ा और फिर मोर्केल [16] ने भी रॉयल्स के कप्तान की गेंद छह रन के लिए भेजी। दक्षिण अफ्रीकी मोर्केल ने पठान पर भी मिडविकेट पर छक्का लगाया लेकिन अगली गेंद वह हवा में खेल गए। इस कैच को लेने के लिए अकमल और कैफ दोनों आगे बढ़े। विकेटकीपर ने कैच तो ले लिया लेकिन कैफ से भिड़ने के कारण वह चोटिल हो गए।