Sunday, March 8, 2009

छक्को का रिकॉर्ड

भारत और न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों ने तीसरे वनडे में गेंदबाजी की धूल उड़ाते हुए कुल 31 छक्के ठोक डाले जो वनडे क्रिकेट के इतिहास में एक मैच में सर्वाधिक छक्कों का विश्व कीर्तिमान बना दिया। भारत ने इसके अलावा एक पारी में सर्वाधिक 18 छक्के लगाने के विश्व रिकार्ड की एक बार फिर बराबरी ली।
एक मैच में सबसे अधिक सर्वाधिक छक्कों के मामले में पिछला रिकार्ड 26 छक्कों का था जो संयुक्त रूप से दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के नाम था। भारत ने इन छक्कों में से 18 छक्के मारे और एक पारी में सर्वाधिक छक्के उड़ाने के रिकार्ड की बराबरी कर ली। यह दूसरा मौका है जब भारत ने एक पारी में 18 छक्के उड़ाए हैं। वैसे वनडे में एक पारी में 18 छक्के उड़ाने का यह चौथा मौका था।
इस मैच में भारतीय बल्लेबाजों में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेदुलकर ने पांच छक्के, युवराज सिंह ने छह छक्के, कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी ने दो छक्के और सुरेश रैना ने पांच छक्के उड़ाए। न्यूजीलैंड की तरफ से ओपनर जैसी राइडर ने चार छक्के, ब्रेंडन मैकुलम ने तीन छक्के, इयान बटलर ने एक छक्का, काइल मिल्स ने तीन छक्के और टिम साउथी ने दो छक्के उड़ाए। भारत ने यह मैच 58 रन से जीतकर पांच मैचों की सीरीज में 2-0 की बढ़त बना ली।
भारत और न्यूजीलैंड के बीच इस मैच में कुल 726 रन बने जो एक वनडे में दूसरा सर्वाधिक योग है। इस मामले में विश्व रिकार्ड आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के नाम है जिन्होंने तीन वर्ष पहले जोहांसबर्ग में ऐतिहासिक मैच में एक दिन में कुल 872 रन बनाए थे। भारत ने तीसरे वनडे में चार विकेट पर 392 रन बनाए जिसके जवाब में न्यूजीलैंड की टीम 334 रन बना सकी। भारत का एकदिवसीय मैचों में यह दूसरा सर्वाधिक स्कोर है। उसका सर्वाधिक स्कोर पांच विकेट पर 413 रन है जो उसने 2007 विश्व कप में बरमूडा के खिलाफ बनाया था। वनडे में यह 11वां मौका है जब भारत ने 350 से ज्यादा का स्कोर बनाया है। भारत का 392 का स्कोर किसी भी टीम द्वारा न्यूजीलैंड में वनडे का सर्वाधिक स्कोर है।
मास्टर ब्लास्टर सचिन ने इस मैच में 163 रन बनाए जो न्यूजीलैंड में उनका पहला वनडे शतक है। उनका यह 43वां शतक और भारत की जीत में 31वां शतक है। सचिन इस मैच में मैन आफ द मैच बने जो उनका 58वां मैन आफ द मैच पुरस्कार है। इस मामले में वह श्रीलंका के सनथ जयसूर्या से 12 पुरस्कार आगे है। बल्लेबाजों के लिए स्वर्ण साबित हुए इस मैच में गेंदबाजों की खासी शामत आई। न्यूजीलैंड के टिम साउथी के लिए यह मैच दु:स्वप्न रहा। वह एक वनडे में 100 से ज्यादा रन लुटाने वाले दुनिया के तीसरे और न्यूजीलैंड के दूसरे गेंदबाज बने।
साउथी ने भारतीय पारी में 10 ओवर में 105 रन लुटाए और उन्हें एक विकेट भी नहीं मिला। न्यूजीलैंड के मार्टिन स्नेडन वनडे में 100 से ज्यादा रन देने वाले एक अन्य गेंदबाज हैं। हालांकि इसके लिए उन्होंने 12 ओवर फेंके थे। स्नेडन ने 1983 के विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ 12 ओवर में 105 रन देकर दो विकेट लिए थे। वनडे में सबसे महंगी गेंदबाजी का रिकार्ड आस्ट्रेलिया के माइकल लुइस के नाम है जिन्होंने मार्च 2006 में जोहांसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दस ओवर में 113 रन दिए थे।

Tuesday, February 24, 2009

द्रविड़ से बेहतर हैं धौनी

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी बल्लेबाजी तकनीक में श्रीमान भरोसेमंद राहुल द्रविड़ से बेहतर हैं। यह सुनकर किसी को भी आश्चर्य हो सकता है लेकिन बल्लेबाजी तकनीक पर लिखी किताब परफेक्ट सिक्स के लेखक सत्यवीर गोयल का दावा है कि धौनी तकनीकी रूप से कहीं ज्यादा सक्षम बल्लेबाज हैं।
गोयल ने कहा, बल्लेबाजी तकनीक को मैंने अपनी किताब में छह मापदंडों के आधार पर आंका है। मेरे अनुसार किसी भी बल्लेबाज को छह मापदंडों बल्ले गेंद का संपर्क, बैक लिफ्ट, पैरों का मूवमेंट, बल्ले का फ्लो, बल्ले का मूवमेंट और शरीर का मूवमेंट के आधार पर परखा जा सकता है। उन्होंने कहा, इन छह मापदंडों पर आंका जाए तो धौनी तकनीक के मामले में द्रविड़ ही नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर से भी बेहतर है। लेखक का मानना है कि आक्रामक बल्लेबाजी से बल्लेबाज की दक्षता, ताकत और संपूर्णता का पता चलता है जबकि रक्षात्मक बल्लेबाजी में कहीं न कहीं कमी का अहसास होता है। इस आधार पर देखा जाए तो विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग भी तकनीकी रूप से काफी सक्षम बल्लेबाज हैं।
मूल रूप से हरियाणा के जींद जिले के निवासी 43 वर्षीय गोयल ने कहा, 2007 का विश्व कप देखने के बाद मेरे मन में बल्लेबाजी तकनीक पर किताब लिखने का विचार आया। मेरा मानना है कि बल्लेबाजी में संपूर्णता सिर्फ स्वाभाविक प्रतिभा पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, मैंने गहन अध्ययन करने के बाद छह मापदंड चुने हैं जिनके आधार पर किसी उभरते बल्लेबाज का आकलन किया जा सकता है कि वह अपने राज्य या देश की टीम में स्थान बना पाएगा या नहीं।
गोयल ने कहा, मैंने अपनी यह किताब विचारार्थ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड [बीसीसीआई] और कुछ विदेशी बोर्डो को भेजी है लेकिन मेरे पास अभी तक बीसीसीआई से कोई जवाब नहीं आया है। लेखक ने दावा किया कि उनकी किताब परफेक्ट सिक्स के आधार पर कोई भी बल्लेबाज अपनी सही क्षमता का आकलन कर सकता है।

Tuesday, January 27, 2009

मेंडिस से हमें कोई खतरा नहीं : धोनी

कोलम्बो । भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिह धोनी ने कहा कि श्रीलंकाई स्पिन गेंदबाज अजंता मेंडिस से भारतीय क्रिकेट टीम को कोई खतरा नहीं है। श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला खेलने भारतीय टीम सोमवार को कोलम्बो पहुंची। यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए धोनी ने कहा, "श्रीलंका में श्रीलंका को हराना आसान नहीं है। यह पूछे जाने पर कि भारतीय टीम मेंडिस का सामना कैसे करेगी। इसके जवाब में धोनी ने कहा, "एकदिवसीय मैचों में हमने उनके खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे खिलाड़ी मेंडिस की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।"उन्होंने कहा, "श्रीलंका में परिस्थितियां भिन्न होती हैं। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, यहां के पिच भी रंग बदलने लगते हैं। बहुत कुछ टॉस पर निर्भर करेगा।"

Sunday, January 11, 2009

मन में कभी किसी तरह का हीनभाव नहीं पैदा हुआ

गंभीर ने खोले कामयाबी के राज

पिछले साल रनों का अंबार लगा देने वाले भारतीय ओपनर गौतम गंभीर ने कहा है कि श्रीलंका के स्पिनरों मुथैया मुरलीधरन और अजंता मेंडिस के खिलाफ मिली कामयाबी उनके करियर का निर्णायक मोड़ साबित हुई।गंभीर ने एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में आज कहा कि गत वर्ष जुलाई-अगस्त में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर रहने से उनका आत्मविश्वास बढ़ गया।उन्होंने कहा, “इस प्रदर्शन से मुझे यह अहसास हो गया कि मैं टेस्ट क्रिकेट में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूं”।शायद इस भरोसे का ही कमाल था कि वर्ष 2008 की दूसरी छमाही में गंभीर ने आठ टेस्ट खेलकर ही एक हजार रनों का आंकड़ा पार कर लिया।बाएं हाथ के आक्रामक ओपनर गंभीर से जब उनके सबसे बुरे अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्ष 2007 के विश्वकप में भारत के खराब प्रदर्शन का जिक्र किया।उन्होंने नए साल में भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखने का भरोसा जताते हुए कहा, “अब लोगों की मुझसे उम्मीदें बढ गई हैं और मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहूंगा। लेकिन सबसे बड़ा लक्ष्य तो देश को दुनिया की नंबर एक टीम के रूप में देखना है”।गंभीर ने कहा कि दुनिया के कुछ बेहतरीन बल्लेबाजों के साथ खेलने के बावजूद उनके मन में कभी किसी तरह का हीनभाव नहीं पैदा हुआ। अपने सलामी जोड़ीदार वीरेंद्र सेहवाग के बारे में उन्होंने कहा, “उनको लेकर मैंने कभी भी कमतर महसूस नहीं किया। टीम की जीत किसी भी खिलाड़ी से अधिक मायने रखती है”।