Tuesday, January 27, 2009

मेंडिस से हमें कोई खतरा नहीं : धोनी

कोलम्बो । भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिह धोनी ने कहा कि श्रीलंकाई स्पिन गेंदबाज अजंता मेंडिस से भारतीय क्रिकेट टीम को कोई खतरा नहीं है। श्रीलंका के खिलाफ पांच मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला खेलने भारतीय टीम सोमवार को कोलम्बो पहुंची। यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए धोनी ने कहा, "श्रीलंका में श्रीलंका को हराना आसान नहीं है। यह पूछे जाने पर कि भारतीय टीम मेंडिस का सामना कैसे करेगी। इसके जवाब में धोनी ने कहा, "एकदिवसीय मैचों में हमने उनके खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया था। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे खिलाड़ी मेंडिस की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।"उन्होंने कहा, "श्रीलंका में परिस्थितियां भिन्न होती हैं। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, यहां के पिच भी रंग बदलने लगते हैं। बहुत कुछ टॉस पर निर्भर करेगा।"

Sunday, January 11, 2009

मन में कभी किसी तरह का हीनभाव नहीं पैदा हुआ

गंभीर ने खोले कामयाबी के राज

पिछले साल रनों का अंबार लगा देने वाले भारतीय ओपनर गौतम गंभीर ने कहा है कि श्रीलंका के स्पिनरों मुथैया मुरलीधरन और अजंता मेंडिस के खिलाफ मिली कामयाबी उनके करियर का निर्णायक मोड़ साबित हुई।गंभीर ने एक निजी टीवी चैनल के साथ बातचीत में आज कहा कि गत वर्ष जुलाई-अगस्त में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में रन बनाने के मामले में दूसरे नंबर पर रहने से उनका आत्मविश्वास बढ़ गया।उन्होंने कहा, “इस प्रदर्शन से मुझे यह अहसास हो गया कि मैं टेस्ट क्रिकेट में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता हूं”।शायद इस भरोसे का ही कमाल था कि वर्ष 2008 की दूसरी छमाही में गंभीर ने आठ टेस्ट खेलकर ही एक हजार रनों का आंकड़ा पार कर लिया।बाएं हाथ के आक्रामक ओपनर गंभीर से जब उनके सबसे बुरे अनुभव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने वर्ष 2007 के विश्वकप में भारत के खराब प्रदर्शन का जिक्र किया।उन्होंने नए साल में भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखने का भरोसा जताते हुए कहा, “अब लोगों की मुझसे उम्मीदें बढ गई हैं और मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहूंगा। लेकिन सबसे बड़ा लक्ष्य तो देश को दुनिया की नंबर एक टीम के रूप में देखना है”।गंभीर ने कहा कि दुनिया के कुछ बेहतरीन बल्लेबाजों के साथ खेलने के बावजूद उनके मन में कभी किसी तरह का हीनभाव नहीं पैदा हुआ। अपने सलामी जोड़ीदार वीरेंद्र सेहवाग के बारे में उन्होंने कहा, “उनको लेकर मैंने कभी भी कमतर महसूस नहीं किया। टीम की जीत किसी भी खिलाड़ी से अधिक मायने रखती है”।

Thursday, December 4, 2008

युवराज की वापसी


युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ एक दिवसीय सीरीज में शानदार बल्लेबाजी करके टेस्ट टीम में दुबारा वापसी की है जबकि आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले युवा खिलाड़ी मुरली विजय को भी मौका दिया गया है।
मुंबई में आतंकवादी घटना के बाद सात वनडे मैचों की सीरीज को बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौटने वाली इंग्लैंड टीम के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए बीसीसीआई ने भारतीय टीम के 15 सदस्यीय दल की घोषणा की है। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और स्पिनर अनिल कुंबले ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई टेस्ट सीरीज के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था जिसके कारण टीम में एक बल्लेबाज और एक स्पिन गेंदबाज की जगह खाली हो गई थी। युवराज सिंह और अमित मिश्रा को इन दोनों खिलाड़ियों के स्थान पर प्राथमिकता दी जाएगी।
हालांकि भारतीय तेज गेंदबाजी की कमान एक बार फिर ईशांत शर्मा और जहीर खान ही संभालेंगे जबकि स्पिन की अगुवाई हरभजन सिंह के हाथों में होगी।
टीम: महेद्र सिंह धोनी [कप्तान], गौतम गंभीर, युवराज सिंह, एस बद्रीनाथ, वीरेद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, मुरली विजय, जहीर खान, मुनफ पटेल, ईशांत शर्मा, हरभजन सिंह, प्रज्ञान ओझा और अमित मिश्रा।

Thursday, November 20, 2008

टीम इंडिया ने जमाई हैट्रिक

कानपुर। हरभजन सिंह की अंगुलियों के कमाल और वीरेंद्र सहवाग के बल्ले के धमाल के अलावा भारत ने मौसम की परिस्थितियों के अनुकूल प्रदर्शन करके इंग्लैंड को तीसरे एक दिवसीय मैच में बृहस्पतिवार को डकवर्थ लुईस पद्धति से 16 रन से हराकर जीत की हैट्रिक पूरी की। इसके साथ ही भारत ने सात मैचों की वनडे सीरीज में इंग्लैंड पर 3-0 की बढ़त बना ली है।
भारत की यह जीत भले ही राजकोट और इंदौर में खेले गए पहले दो मैचों की तरह बेहतरीन नहीं रही। इसकी एक वजह खराब रोशनी भी रही जिसके कारण मैच देर से शुरू हुआ और इसे 49 ओवर का कर दिया गया। इसी वजह से ही मैच पूरा नहीं हो पाया और डकवर्थ लुईस पद्धति का सहारा लेना पड़ा लेकिन यदि मैच के पहले घंटे को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर समय भारत ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर बढ़त बनाए रखी।
इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए अच्छी शुरुआत की थी। जिस समय रवि बोपारा [60] और इयान बेल [46] की सलामी जोड़ी खेल रही थी तब इंग्लैंड बड़े स्कोर की तरफ बढ़ता हुआ दिख रहा था लेकिन भारतीय गेंदबाजों विशेषकर हरभजन ने उनकी पूरी पारी 48.4 ओवर में 240 रन पर समेटने में अहम भूमिका निभाई। मैन ऑफ द मैच हरभजन ने दस ओवर में 31 रन देकर तीन विकेट लिए। जब बल्लेबाजी की बारी आई तो दो विकेट जल्दी गिरने के बावजूद सहवाग [68] की मौजूदगी से भारत संकट में नहीं पड़ा। बाद में पिछले दो मैच के नायक युवराज सिंह [38] और महेंद्र सिंह धोनी [नाबाद 29] ने भारत का पलड़ा भारी रखा। जब खेल रोका गया तब भारत ने 40 ओवर में पांच विकेट पर 198 रन बनाए थे जो डकवर्थ लुईस से जीत के लिए पर्याप्त थे।
इंग्लैंड के कप्तान केविन पीटरसन अंपायरों के फैसले से खुश नहीं थे लेकिन रोशनी इतनी मद्विम पड़ गई थी कि उसमें खेल आगे जारी रखना संभव नहीं था। वैसे इंग्लैंड अपनी इस हार के लिए स्वयं दोषी था क्योंकि वह अच्छी शुरुआत का फायदा उठाने में नाकाम रहा था। इंग्लैंड ने बेल के साथ बोपारा को पारी का आगाज करने के लिए भेजा। इन दोनों ने 79 रन जोड़े लेकिन यह साझेदारी टूटने के बाद इंग्लैंड की पारी चरमरा गई। इन दोनों के अलावा उसकी तरफ से ओवैश शाह [40] तथा एंड्रयू फ्लिंटॉफ और समित पटेल [दोनों 26] कुछ अच्छा योगदान दे पाए।
भारतीय बल्लेबाजों ने लक्ष्य बड़ा न होने के कारण किसी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखाई लेकिन डकवर्थ लुईस के लिए अनिवार्य 20 ओवर तक पहुंचने के बाद उसने उस लिहाज से अपनी रनगति बनाए रखी। इंग्लैंड को सभी विकेट गंवाने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। भारतीय पारी में सहवाग ने एंकर की भूमिका निभाई। उन्होंने बहुत तूफानी तेवर तो नहीं दिखाए लेकिन आठ चौके और एक छक्का जमाकर ग्रीन पार्क स्टेडियम में पहुंचे दर्शकों का अच्छा मनोरंजन किया। गौतम गंभीर [14] इस बार उनका अच्छा साथ नहीं दे पाए और जब टीम का स्कोर 31 रन था तब उन्होंने फ्लिंटॉफ की ऑफ साइड पर फेंकी गई शार्ट लेंथ गेंद पर थर्ड मैन में स्टुअर्ट ब्राड को सीधा कैच थमा दिया।
रोहित ने ग्रीम स्वान की गेंद कट करने के प्रयास में विकेटकीपर को कैच थमाया लेकिन सहवाग को आउट करने का पूरा श्रेय पाल कोलिंगवुड को जाता है जिन्होंने प्वाइंट पर बेहतरीन कैच लेकर दर्शकों को सन्न कर दिया। युवराज क्षेत्ररक्षण के दौरान बाहर चले गए थे और इस वजह से उन्हें पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आना पड़ा। उनके पास लगातार तीसरा शतक जमाने का मौका तो नहीं था लेकिन उन्होंने 21 गेंद पर खेली गई 38 रन की अपनी पारी में कई दर्शनीय शाट लगाकर दर्शकों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फ्लिंटाफ ने युवराज को आउट करके अपना तीसरा विकेट लिया। बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने पुल करने के प्रयास में डीप स्क्वायर लेग पर खड़े ब्रॉड को कैच थमाया। उनकी पारी में दो चौके और स्वान पर लगाया गया छक्का शामिल है। धोनी ने हालांकि एक छोर संभाले रखकर भारत की जीत सुनिश्चित की। जब खेल समाप्त हुआ तक उनके साथ दूसरे छोर पर यूसुफ पठान [16] खड़े थे।
हरभजन सिंह की अगुवाई में गेंदबाजों ने अपना जलवा बिखेरते हुए इंग्लैंड को बड़ा स्कोर खड़ा नहीं करने दिया। एक समय अच्छी स्थिति में होने के बावजूद इंग्लैंड की पूरी टीम 48.4 ओवर में 240 रन पर आउट हो गई। इंग्लैंड के लिए रवि बोपारा ने सर्वाधिक 60 रन की पारी खेली। भारत की ओर से हरभजन सिंह ने 31 रन देकर सर्वाधिक तीन विकेट लिए।
इंग्लैंड के कप्तान केविन पीटरसन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। उनके इस फैसले को सही ठहराते हुए सलामी बल्लेबाज रवि बोपारा और इयान बेल ने टीम को बढि़या शुरुआत दिलाई। इन दोनों ने मिलकर भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ तेजी से रन बटोरे। इस दौरान बेल ने काफी तेजी दिखाई। इसका फायदा उठाते हुए तेज गेंदबाज मुनफ पटेल ने बेल को पवेलियन की राह दिखाई। बेल ने धोनी को कैच देने से पहले 47 गेंदों पर 46 रन की पारी खेली जिसमें आठ चौके शामिल हैं। इस जोड़ी ने 14.3 ओवर में 79 रन जोड़े।
इसके बाद क्रीज पर आए पीटरसन ने एक छक्का जमाकर आक्रामक तेवर दिखाए। हालांकि वह सिर्फ 13 रन ही बना सके। उनका विकेट हरभजन सिंह ने लिया। भज्जी को अगले विकेट के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। नए बल्लेबाज कोलिंगवुड को उन्होंने धोनी के हाथों स्टंप कराया। वह सिर्फ एक रन बना सके। पिछले दो वनडे में भारत के हीरो रहे युवराज सिंह ने शानदार बल्लेबाजी कर रहे रवि बोपारा को आउट करके भारतीय टीम को झूमने का मौका दिया। युवी की गेंद पर बोपारा धोनी के हाथों स्टंप हो गए। उन्होंने 82 गेंद पर आठ चौकों की मदद से 60 रन की बेहतरीन पारी खेली। इंग्लैंड के चार विकेट 133 रन पर गिर गए।