अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस के बयान – “भारतीयों के ज्यादा खाने के कारण विश्व बाजार में खाद्यानों की कीमत बढ़ रही ह”- के बाद अब अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भी मानने लगे हैं कि “भारतीय मध्य वर्ग” की समृद्धि के कारण आनाज की कीमतें आसमान छू रही है।
बुश ने कहा है, “भारत में 35 करोड़ लोग मध्य वर्ग में आते हैं, जो अमेरिका की जनसंख्या से अधिक है और जब आप पैसा अर्जित करना शुरू करते हैं तो आप अच्छे भोजन की मांग करते हैं। इस तरह मांग बढ़ने से कीमतों में वृद्धि होती है”।
पिछले हफ्ते राइस ने भी कहा था कि चीन और भारत के लोगों की खुराक में वृद्धि तथा इन देशों द्वारा अनाज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण विश्व में खाद्यान्न संकट पैदा हुआ है।
यद्यपि राइस ने कहा था कि जैव ईंधन के निर्माण में अनाजों का प्रयोग खाद्य संकट को गहरा सकता है, लेकिन बुश ने इससे उलट मक्का से एथेनॉल के निर्माण को बढ़ती कीमतों का कारण मानने से इंकार कर दिया।
बुश ने एथेनॉल निर्माण का समर्थन करते हुए अनाज की बढ़ती कीमतों के लिए तेल और उर्वरकों के दामों में वृद्धि के कारण खेती की लागत में होने वाली बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया है।
बुश ने मौसम संबंधी समस्याओं को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अनाज उत्पादन के कुछ बड़े क्षेत्र सूखा प्रभावित हैं। मौसम में बदलाव भी इसका कारण है।
बुश ने कहा, “अमेरिका ने खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए काफी सहायता दी है। मैंने कांग्रेस से इसके लिए और धन देने की अपील की है। अगले दो सालों में पांच अरब डॉलर से अधिक की राशि इस मकसद में खर्च की जाएगी”।
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