भारतीय क्रिकेट की सबसे अनुभवी त्रिमूर्ति सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ भले ही इंडियन प्रीमियर लीग [आईपीएल] में अपनी टीमों को सेमीफाइनल तक नहीं ले जा सके हों लेकिन क्रिकेट पंडितों का मानना है कि इस तिकड़ी में अभी काफी क्रिकेट बाकी है।
तेंदुलकर [मुंबई इंडियंस], गांगुली [कोलकाता नाइटराइडर्स] और द्रविड़ [बेंगलूर रायल चैलेंजर्स] अपनी टीमों के कप्तान और आइकन खिलाड़ी भी हैं लेकिन ये टीमें अंतिम चार में भी नहीं पहुंच सकी हैं। इसके बाद एक बार फिर क्रिकेट के लघु स्वरूप में अनुभवी और उम्रदराज खिलाडि़यों की उपयोगिता पर बहस गर्मा गई है। पूर्व चयनकर्ता अंशुमान गायकवाड़ का मानना है कि वनडे क्रिकेट में इन तीनों का भविष्य फिटनेस पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, फिटनेस रहने पर फार्म खुद-ब-खुद आ जाता है। अभी ये खिलाड़ी दो तीन साल और खेल सकते हैं। वहीं पूर्व टेस्ट क्रिकेटर करसन घावरी का मानना है कि बल्लेबाज के तौर पर भले ही ये तिकड़ी उतनी विफल ना रही हो लेकिन फील्डिंग में इन्होंने निराश किया है। पूर्व चयनकर्ता कीर्ति आजाद के अनुसार टीम में जगह पाने का आधार उम्र नहीं बल्कि फिटनेस और फार्म होना चाहिए।
गांगुली ने 13 मैचों में 349 रन बनाए जिसमें तीन अर्द्धशतक शामिल है। दो बार मैन ऑफ द मैच रहे गांगुली ने 33 चौके और 15 छक्के जड़े और आखिरी लीग मैच में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ जीत के सूत्रधार भी रहे। उन्होंने 6.40 की औसत से छह विकेट भी चटकाए। आईपीएल में मात्र छह मैच ही खेल सके तेंदुलकर सिर्फ 148 रन ही बना सके और अचरज की बात यह है कि लप्पेबाजी के खेल में उन्होंने सिर्फ एक छक्का जड़ा। द्रविड़ ने अब तक 13 मैचों में 360 रन बनाए हैं।
गायकवाड़ ने कहा, सौरव को फ्लाप नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लक्ष्मण और सचिन फिटनेस समस्या से जूझ रहे थे हालांकि द्रविड़ ने जरूर निराश किया है। उन्होंने कहा, ये सभी क्लास खिलाड़ी हैं और फार्म तो अस्थाई चीज है। मुझे लगता है कि वनडे टीम में इनकी जगह बनती है बशर्ते फील्डिंग में सुधार हो। उनके सुर में सुर मिलाते हुए घावरी ने कहा, एक टूर्नामेंट के प्रदर्शन को टीम के चयन का आधार नहीं बनाया जा सकता। भले ही इन खिलाडि़यों ने ज्यादा रन नहीं बनाए हो लेकिन ये फ्लाप नहीं रहे। उम्र का इनकी फील्डिंग पर असर जरूर दिख रहा है।
घावरी ने यह भी कहा, आईपीएल को ज्यादा संजीदगी से नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह विशुद्ध क्रिकेट नहीं बल्कि पैसा कमाने की मशीन है। इसका वनडे या टेस्ट क्रिकेट पर कोई असर नहीं होगा और ना ही इसमें प्रदर्शन से खिलाड़ी की क्लास को आंका जा सकता है। आजाद ने कहा, ट्वंटी 20 में प्रदर्शन किसी भी सूरत में वनडे टीम के चयन का आधार नहीं हो सकता क्योंकि यह ताबड़तोड़ बल्लेबाजी का खेल है। इसमें खिलाड़ी को अपने भीतर का क्रिकेट दिखाने का मौका ही नहीं मिलता। असल परीक्षा तो वनडे और टेस्ट क्रिकेट से ही होगी। उन्होंने कहा, राहुल, सचिन और सौरव में अभी काफी क्रिकेट बाकी है लेकिन स्वप्निल असनोडकर, मनप्रीत गोनी और अभिषेक नायर जैसे नए खिलाडि़यों से प्रतिस्पर्धा के लिए उन्हें फिटनेस पर बहुत मेहनत करनी होगी।
सोर्स : जागरण
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