Sunday, June 8, 2008

भारतीय अब कुछ भी पहन लेने की मानसिकता से बाहर आये


अर्थव्यवस्था के विकास से समृद्ध होते भारतीय अब कुछ भी पहन लेने की मानसिकता से बाहर आ चुके हैं। बदलती जीवन शैली के कारण सजना संवरना अब इन्हें भी भाने लगा है और ऐसी चाहत रखने वाले देशों में भारत का तीसरा स्थान है।
अपेक्षाकृत युवा आबादी के बलबूते ब्राजील संजने सवरने के मामले में शीर्ष पर तो चीन दूसरे स्थान पर है। संजने-सवरने को लेकर दुनिया में किए गए अपनी तरह का यह पहला अध्ययन दस उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर किया गया। इनमें भारत, ब्राजील, चीन, तुर्की, चिली, रोमानिया, अर्जेटीना, थाइलैंड, रूस और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। प्रबंधन एवं बाजार अनुसंधान संस्थान एटी कीरने ने यह अध्ययन परिधान खुदरा सूचकांक तैयार करने के लिए किया। इसमें बाजार की संभावनाओं,उपभोक्ताओं की आदतों जैसे अनेक बिंदुओं को आधार बनाया गया है।
अध्ययन में पाया गया कि इन देशों में सरकार की नीतियों, बढ़ती आमदनी और क्रेडिट कार्ड के फैलते कारोबार की वजह से रेडीमेड वस्त्रों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। भारत में खानपान एवं दैनिक सामान के बाद परिधानों का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। देश में 37 अरब डालर के खुदरा बाजार में परिधान बाजार की 10 फीसदी हिस्सेदारी है। परिधान बाजार में कारोबार 12 से 15 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है जो चीन और अमेरिका से अधिक है। इस बाजार के बढ़ने में मध्यम वर्ग की बढ़ती आमदनी,परिधान आधारित माल एवं शापिंग सेंटरों की स्थापना और क्रेडिट कार्ड के फैलते कारोबार का खासा योगदान है।
अध्ययन के मुताबिक भारत में उपभोक्ता ब्रांड पर नहीं बल्कि दुकानदार पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इस वजह से स्थानीय दुकानदारों की योजनाओं से निपटने में बड़ी कंपनियों का पसीना छूट जाता है। इस प्रतिस्पर्धा के चलते परिधानों के कारोबार में विविधता की भरमार है। देश के कुल परिधान बाजार के 10 प्रतिशत कारोबार पर सात कंपनियों का कब्जा है।

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