Tuesday, March 18, 2008
क्यों भुला दी १९८३ की टीम
मुम्बई। सन 1983 की विश्वकप जीत कपिल के जांबाजों ने वेस्ट इंडीज के खूंखार लड़ाकों से जीती थी। इस जीत ने भारतीय क्रिकेट की नसों में बिजली दौड़ा दी थी। सच तो यह है कि अगर कहा जाए कि भारतीय क्रिकेट का असली जन्म 25 जून 1983 को ही हुआ था, तो यह गलत नहीं होगा। किसी भी भारतीय के लिए वह दिन क्रिकेट का सबसे बड़ा दिन था। ये पल भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए ही नहीं बल्कि भारत के आधुनिक इतिहास के सबसे यादगार लम्हों में से एक हैं। इस जीत के बाद देश में क्रिकेट का नक्शा ही बदल गया। पूरे देश में एक नया जूनुन पैदा हुआ और धीरे-धीरे जनता के दिलो-दिमाग पर छा गया। 25 जून 1983 को लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान का यह नजारा आज भी भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी धरोधर है। आज हम जो कुछ भी हैं, उसकी बुनियाद यहीं पड़ी थी। मगर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इन सभी खिलाड़ियों को, इन असली नायकों को भुला चुका है। तभी तो जब इस साल इस जीत के पूरे 25 साल हो रहे हैं, लेकिन बीसीसीआई का इन सभी खिलाड़ियों को सम्मानित करने का कोई कार्यक्रम नहीं है।
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