Monday, March 17, 2008

होली पर भी ग्लैमर का जादू

प्रेम, एकता और भाईचारे का रंग पर्व होली पर भी अब ग्लैमर का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है, जिसने समाज में अमीर-गरीब के फासले को बढ़ा दिया है।
होली का त्यौहार सिर पर है और बाजार में होली की चीजों की चमक दिखाई दे रही है, लेकिन महंगाई के चलते इस पर्व में इस्तेमाल होनी वाली चीजें आम आदमी की पहुंच से दूर होती दिखाई पड़ रही है।
लजीज गुझिया के बिना तो होली के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता, लेकिन इसकी आसमान छूती लागतें या इसे बनाने में इस्तेमाल चीजों की कीमतें लोगों के लिए मुश्किल का सबब बनी हुई है।
इस बार होली पर आने वाले मेहमानों की खातिर में लोग अपनी नाश्ते की प्लेट को सोने का वर्क लगी गुझिया से सजा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पडे़गी, क्योंकि बाजार में इनकी कीमत चार हजार रुपये प्रति किलो चल रही है।
राजधानी की जानी-मानी मिठाई की दुकान छप्पनभोग गुझिया एवं मिठाइयों की मुंह में पानी लाने वाली किस्मों की भरमार है। यहां मेवा, केसर, काजू, पिस्ता, बादाम, साधारण खोये वाली तथा विभिन्न स्वाद और सुगंधों में शुगर फ्री गुझिया 200 से 750 रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध हैं।
दुकान मालिक शेखर गुप्ता का कहना है कि बदलते समय ने त्योहार मनाने का तरीका भी बदला है। पहले मेहमान के आगे साधारण खोये की गुझिया पेश की जाती थी, लेकिन अब कोई भी अपने बजट और सुविधा के हिसाब से विकल्प चुन सकता है।
एक गृहिणी प्रियंका ने कहा कि सोने का वर्क लगी गुझिया तो एक सपना है, क्योंकि समाज में एक वर्ग ही ऐसा है जो यह लागत वहन कर सकता है। उन्होंने कहा कि अब त्योहार पर्व के बजाए शानो-शौकत दिखाने का माध्यम बन गए हैं।
दूसरी ओर तमाम मिठाई विक्रेता इस त्योहार के सिलसिले में ज्यादा प्रयोग नहीं कर रहे हैं और खोये की साधारण गुझिया बना रहे हैं।
होली के सिलसिले में घरेलू बाजार इन दिनों तरह-तरह की रंगबिरंगी और डिजाइनर पिचकारियों से पट गए हैं। इनमें चीनी डिजाइनर पिचकारियों की बाजार में धूम है। हाकी प्लास्टिक की बनी चीनी पिचकारियों की श्रृंखला को वाटर गन भी कहा जाता है। दस रुपये की कीमत से शुरू होकर ये पिचकारियां 2500 रुपये तक के मूल्य में बाजार में उपलब्ध हैं। यह बड़ी पिस्टलनुमा पिचकारी छह लीटर पानी की क्षमता रखती है जिससे बड़ी देर तक लोगों को तर किया जा सकता है।
पशुओं, पिस्टल, बंदूक और पेंसिल की आकृति में ये पिचकारियां रंग खेलने के लिए हल्की तो रंगों की धार दूर तक फेंकने वाली हैं। अमीनाबाद क्षेत्र के एक पिचकारी विक्रेता मनीष अग्रवाल ने बताया कि जो अभिभावक बंदूक के आकार वाली पिचकारी बच्चों को दिलाने से इनकार कर देते थे वे जानवरों की डिजाइन वाली खिलौने जैसी इन पिचकारियों को दिलाने से मना नहीं कर पाएंगे। वैसे बाजार में इस समय इन चीनी पिचकारियों का बोल बाला। वैसे पैसे वालों द्वारा अपना जलवा दिखाने के लिए बाजार में चांदी की बनी पिचकारी भी उपलब्ध है।

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