छह साल पहले 2002 में इंग्लैंड की सरजमीं पर दो युवा खिलाडि़यों ने भारतीय टीम को एक दिवसीय सीरीज में शानदार जीत दिलाई थी जिसने कप्तान सौरव गांगुली को लार्ड्स की बालकनी में शर्ट निकालने पर मजबूर कर दिया था।
भारत की 50 ओवर के मैच में यह बेहतरीन जीत थी। यह उसकी यादगार जीतों में से एक है। इसके नायक युवराज सिंह [69 रन] और मोहम्मद कैफ [नाबाद 87 रन] ने क्रिकेट में आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रखा लेकिन इनका टेस्ट कैरियर अब ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है कि ये दोनों तीन अप्रैल से अहमदाबाद में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट की भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए जूझ रहे हैं।
पंजाब-उत्तर प्रदेश की इस शानदार जोड़ी ने 13 जून को नैटवेस्ट ट्राफी के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ 121 रन की बेहतरीन साझेदारी निभाकर भारत को पांच विकेट की दयनीय स्थिति से निकाला था। इससे टीम ने पांच विकेट पर 325 का विशाल लक्ष्य को आसानी से पार कर कर जीत दर्ज की थी। यह ऐसी जीत है जो अब तक भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के जहन में बसी हुई है। विडंबना यह है कि ये दोनों बल्लेबाज भारतीय अंडर 19 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य भी रहे जिसने श्रीलंका में खिताब हासिल किया था। तब युवराज ने कैफ की कप्तानी में यह मैच खेला था।
मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की चोट के कारण टेस्ट टीम में एक जगह खाली हुई है जिसे पाने के लिए इन दोनों के बीच कांटे की टक्कर बनी हुई है। दो सत्र पहले वेस्टइंडीज में जब तेंदुलकर चोटिल थे और गांगुली को टीम से बाहर किया गया था तब इन दोनों को मध्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था। कैफ ने सेंट लूसिया में दूसरे टेस्ट में नाबाद 148 रन की शानदार पारी खेली थी। उन्होंने 226 रन से 56.50 का औसत बनाया था और वह इसमें दूसरे स्थान पर पहुंचने के बाद टेस्ट टीम में जगह पक्की नहीं कर पाए थे।
वहीं युवराज सिंह का प्रदर्शन खराब रहा था और उनका औसत 17.33 था। इसे भाग्य ही कहिए कि 26 वर्षीय युवराज को टेस्ट टीम में जगह पक्की करने का मौका पहले मिला। जब पाकिस्तानी टीम पिछले सत्र में यहां आई थी तब उन्होंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और बेंगलूर में 169 रन की पारी खेली। लेकिन इसके बाद यह स्टाइलिश बल्लेबाज आस्ट्रेलिया के खिलाफ दो टेस्ट मैचों में सिर्फ 17 रन ही बना सका। दूसरी तरफ कैफ ने इस दौरान एक दिवसीय टीम का अपना स्थान गंवा भी दिया और उसकी जगह सुरेश रैना, रोबिन उथप्पा और रोहित शर्मा जैसे खिलाडि़यों को मौका मिला। अब इतने समय बाद अहमदाबाद टेस्ट की 15 सदस्यीय टीम के लिए उन्हें बुलाया गया है।
कैफ ने घरेलू सत्र में शानदार प्रदर्शन कर भारतीय टेस्ट में वापसी की है। घरेलू सत्र में उन्होंने 60 रन प्रति पारी की मदद से 1000 रन जोडे़। औसत के हिसाब से देखा जाए तो इन दोनों का टेस्ट में प्रदर्शन एक सा ही रहा है जिसमें युवराज ने कैफ से नौ टेस्ट मैच ज्यादा खेले हैं। उत्तर प्रदेश का यह बल्लेबाज अब तक सिर्फ 13 टेस्ट ही खेल पाया है। दोनों शानदार क्षेत्ररक्षक हैं और अगर भारत चेन्नई में हुए पहले टेस्ट की तरह ही चार तेज गेंदबाजों को शामिल करने की नीति ही अपनाता है तो अहमदाबाद की अंतिम एकादश टीम में सिर्फ एक को ही शामिल किया जाएगा।
भारतीय थिंक टैंक को अहमदाबाद टेस्ट की अंतिम एकादश चुनने के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। उन्हें घरेलू परिस्थितियों में युवराज की क्षमता पर विश्वास करना होगा या फिर उन्हें कैफ को 2006 में किंग्स्टन में जून-जुलाई के बाद पहला मौका देने के बारे में सोचने पर गहन विचार करना होगा।
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