चेन्नई। तमिलनाडु सरकार ने होगेनक्कल पेयजल परियोजना के जबर्दस्त विवादों में फंसने के मद्देनजर इस पर कर्नाटक विधानसभा चुनाव होने तक शनिवार को रोक लगाने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक हमें शांति बनाए रखनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि कर्नाटक में बनने वाली नई सरकार तमिलनाडु की आकांक्षाओं को समझ सकेगी।
गौरतलब है कि 1334 करोड़ रुपये के लागत वाली होगेनक्कल परियोजना को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच तीखा विवाद छिड़ गया है। कई जगह हिंसक प्रदर्शन होने के बाद दोनों राज्यों के फिल्मी सितारे भी आमने-सामने आ खडे़ हुए हैं।
करुणानिधि ने कहा कि हम कर्नाटक की नई सरकार से 1998 में इस परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते का पालन करने का अनुरोध करेंगे और उम्मीद करते हैं कि हमें न्याय मिलेगा। कर्नाटक में नई विधानसभा के गठन के लिए मई में चुनाव होने वाले हैं। वहां फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।
करुणानिधि ने राज्य के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिलों को पेयजल मुहैया कराने के लिए प्रस्तावित इस परियोजना क ी गत 26 फरवरी को आधारशिला रखी थी। उसके बाद से ही पड़ोसी राज्य कर्नाटक में इसका तीव्र विरोध शुरू हो गया था।
तमिलनाडु के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिलों में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने के कारण पीने योग्य पानी की समस्या है। इसी समस्या को दूर करने के लिए होगेनक्कल परियोजना की रूपरेखा बनाई गई थी।
करुणानिधि ने राज्य की जनता से संयम बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि अगर कर्नाटक की नई सरकार ने भी इस परियोजना को रोकने की कोशिश की तो तमिल जनता अपना आत्मसम्मान नहीं छोडे़गी, चाहे उसे अपनी जिंदगी और संपत्ति ही क्यों न गंवानी पड़े। उन्होंने कहा कि वह एक स्वाभिमानी शख्स के रूप में हिंसक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पहले कर्नाटक में चुनाव हो जाने दीजिए। हम वहां की नई सरकार से इस बारे में बात करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम लड़ाई के मैदान में उतर पडें़गे। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इसकी जरूरत नहीं पडे़गी और देश की अखंडता की रक्षा की जाएगी।
उन्होंने पिछले कुछ दिनों में हुई हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता में यकीन करने वाले लोग दो पड़ोसी राज्यों के बीच स्थायी दुश्मनी को कतई नहीं स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में आखिरकार न्याय की ही जीत होगी। बहरहाल उन्होंने बीती बातों को भुलाने की नसीहत देते हुए कहा कि हमें कर्नाटक विधानसभा चुनाव तक संयम और शांति का परिचय देना होगा। हमें इस शांति मार्च में खुद को अगली कतार में रखना होगा।
ऐसा माना जा रहा है कि करुणानिधि के होगेनक्कल परियोजना पर रोक लगाने के फैसले से विवाद फौरी तौर पर शांत हो सकता है। लेकिन कर्नाटक में आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसके एक मुद्दा बनने की भी आशंका है।
मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक हमें शांति बनाए रखनी होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि कर्नाटक में बनने वाली नई सरकार तमिलनाडु की आकांक्षाओं को समझ सकेगी।
गौरतलब है कि 1334 करोड़ रुपये के लागत वाली होगेनक्कल परियोजना को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच तीखा विवाद छिड़ गया है। कई जगह हिंसक प्रदर्शन होने के बाद दोनों राज्यों के फिल्मी सितारे भी आमने-सामने आ खडे़ हुए हैं।
करुणानिधि ने कहा कि हम कर्नाटक की नई सरकार से 1998 में इस परियोजना को लेकर दोनों राज्यों के बीच हुए समझौते का पालन करने का अनुरोध करेंगे और उम्मीद करते हैं कि हमें न्याय मिलेगा। कर्नाटक में नई विधानसभा के गठन के लिए मई में चुनाव होने वाले हैं। वहां फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।
करुणानिधि ने राज्य के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिलों को पेयजल मुहैया कराने के लिए प्रस्तावित इस परियोजना क ी गत 26 फरवरी को आधारशिला रखी थी। उसके बाद से ही पड़ोसी राज्य कर्नाटक में इसका तीव्र विरोध शुरू हो गया था।
तमिलनाडु के धर्मपुरी और कृष्णागिरी जिलों में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने के कारण पीने योग्य पानी की समस्या है। इसी समस्या को दूर करने के लिए होगेनक्कल परियोजना की रूपरेखा बनाई गई थी।
करुणानिधि ने राज्य की जनता से संयम बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि अगर कर्नाटक की नई सरकार ने भी इस परियोजना को रोकने की कोशिश की तो तमिल जनता अपना आत्मसम्मान नहीं छोडे़गी, चाहे उसे अपनी जिंदगी और संपत्ति ही क्यों न गंवानी पड़े। उन्होंने कहा कि वह एक स्वाभिमानी शख्स के रूप में हिंसक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि पहले कर्नाटक में चुनाव हो जाने दीजिए। हम वहां की नई सरकार से इस बारे में बात करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम लड़ाई के मैदान में उतर पडें़गे। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि इसकी जरूरत नहीं पडे़गी और देश की अखंडता की रक्षा की जाएगी।
उन्होंने पिछले कुछ दिनों में हुई हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता में यकीन करने वाले लोग दो पड़ोसी राज्यों के बीच स्थायी दुश्मनी को कतई नहीं स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस मामले में आखिरकार न्याय की ही जीत होगी। बहरहाल उन्होंने बीती बातों को भुलाने की नसीहत देते हुए कहा कि हमें कर्नाटक विधानसभा चुनाव तक संयम और शांति का परिचय देना होगा। हमें इस शांति मार्च में खुद को अगली कतार में रखना होगा।
ऐसा माना जा रहा है कि करुणानिधि के होगेनक्कल परियोजना पर रोक लगाने के फैसले से विवाद फौरी तौर पर शांत हो सकता है। लेकिन कर्नाटक में आसन्न विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसके एक मुद्दा बनने की भी आशंका है।
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