नई दिल्ली [राजकिशोर]। अमेरिका हो या चीन या फिर दुनिया का कोई भी देश। वहां से विमान के उड़ान भरने के 15 मिनट के भीतर उसमें मौजूद हर यात्री का कच्चा-चिट्ठा हवाईअड्डे पर इमीग्रेशन [आव्रजन] अधिकारियों के कंप्यूटर पर मौजूद होगा।
आने वाली पहली अप्रैल से हिंदुस्तान के छह हवाईअड्डों में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। देश की सुरक्षा व यात्रियों की सुविधा के लिहाज से बेहद अहम यह पायलट [प्रायोगिक] प्रोजेक्ट चल रहा है। एपिस यानी एडवांस पैसेंजर्स इन्फार्मेशन सिस्टम के बारे में अधिसूचना जारी हो गई है। देश के लगभग एक दर्जन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों में से फिलहाल एक अप्रैल से दिल्ली, मुंबई, बेंगलूर, कोच्चि, हैदराबाद और चेन्नई में एपिस लागू हो जाएगा। गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में भी यह जानकारी दी।
गृह सचिव मधुकर गुप्त ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और आव्रजन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर योजना की प्रगति की समीक्षा भी की। ध्यान रहे, मार्च 2006 से एयर इंडिया के साथ इस परियोजना पर काम शुरू हुआ था। इसके तहत विदेश से चलने वाले हर विमान के प्रत्येक यात्री का ब्यौरा हिंदुस्तान के संबंधित एयरपोर्ट पर इलेक्ट्रानिक रूप में आ जाएगा। मसलन ब्रिटेन के हीथ्रो हवाईअड्डे से अगर कोई विमान जैसे ही उड़ेगा, उसके प्रत्येक यात्री का ब्यौरा भारत के संबंधित हवाईअड्डे में आव्रजन अधिकारियों के पास पहुंच जाएगा।
यह व्यवस्था दुनिया के विभिन्न देशों में लागू भी है। हिंदुस्तान में प्रति वर्ष 44 लाख से ज्यादा तो विदेशी यात्री ही आते हैं। इसके अलावा भारतीय नागरिकों का आवागमन तो होता ही रहता है। देश की सुरक्षा के लिहाज से तो यह अहम है ही, यात्रियों को भी इससे सुविधा हो जाएगी। विदेश से आने के बाद इमीग्रेशन के लिए घंटों लाइन में खड़े रहने से भी लोगों को छुटकारा मिल सकेगा। साथ ही अगर इमीग्रेशन विभाग को किसी के बारे में आपत्तिजनक लगा तो वह उसे वहीं से बैरंग वापस लौटा सकेगा या उचित कार्रवाई करने में सक्षम होगा।
देशी या विदेशी एयरलाइन जो सूचना देंगी, उसमें व्यक्ति का नाम-पता और पासपोर्ट के अलावा आने का उद्देश्य वगैरह सभी होगा। एक विचार यह भी है कि आने वाले दिनों में अमेरिका की तरह हर यात्री का प्रोफाइल भी इकट्ठा किया जाए। हालांकि, फिलहाल तो सभी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर एपिस लागू करने की योजना है।
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