Friday, March 7, 2008

बेटे की गुगली पर द्रविड़ बोल्ड

बेंगलूर। ग्लेन मैक्ग्रा, शोएब अख्तर, कर्टनी वाल्स और यहां तक कि शेन वार्न की गेंदों से राहुल द्रविड़ कभी डरे नहीं लेकिन उनके दो साल के पुत्र समित की सवाल रूपी गुगली भारतीय क्रिकेट की 'दीवार' को जरूर बोल्ड कर जाती है। द्रविड़ ने बीबीसी के साथ साक्षात्कार में यह बात कही।

द्रविड़ से जब पूछा गया कि टीम से बाहर होने के दौरान वह अपना समय कैसे गुजारते है तो श्रीमान भरोसेमंद ने कहा, 'मेरा बेटा मुझसे नए सवाल करता रहता है। कई बार मेरे पास उसके सवालों का जवाब नहीं होता।' उन्होंने कहा, 'उसे बड़ा होते देखना बहुत दिलचस्प है। वह मुझे बहुत चाहता है। मेरा बेटा हिन्दी की एक फिल्म के गाने की कुछ पंक्तियां बोलता है जिसे वह बहुत पसंद करता है लेकिन मैं नहीं गा सकता क्योंकि मुझे गाना नहीं आता है।'

प्रत्येक गेंद पर अपनी पैनी निगाह रखने वाले इस स्टार क्रिकेटर को हालांकि क्रिकेट मैच देख रही किसी सुंदरी को देखने का सौभाग्य नहीं मिलता। हालांकि इसके लिए द्रविड़ को दोष नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह या तो विकेटकीपर की भूमिका निभाते है या फिर स्लिप में क्षेत्ररक्षण करते है। द्रविड़ ने कहा, 'मेरा साथी खिलाड़ी इरफान पठान इस मामले में अधिक भाग्यशाली है क्योंकि वह अक्सर सीमा रेखा पर रहते हैं।' उन्होंने कहा, 'आप लोगों को ऐसी बातें इरफान पठान से पूछनी चाहिए। मैं हमेशा या तो विकेट या स्लिप में रहता हूं। मैं कैसे इस सवाल का जवाब दे सकता हूं।'

द्रविड़ के इस जवाब पर दर्शक और इस साक्षात्कार को देखने के लिए बुलाए गए मीडियाकर्मी भी अपनी हंसी नहीं थाम पाए। द्रविड़ से जब पूछा गया कि क्या वह टीम से बाहर होने पर क्रिकेट मैच देखते हैं उन्होंने कहा, 'मैं तब देखता हूं जब सचिन खेल रहे होते हैं लेकिन पूरे समय नहीं। जब मैं घर में रहता हूं तो परिवार के साथ समय बिताता हूं। लोगों ने इस खेल को इस मुकाम पर पहुंचाया।'

यह पूर्व भारतीय कप्तान शुरू में क्रिकेट के साथ हाकी भी खेला करते थे लेकिन जब भी उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए मना किया जाता था तो उन्हें बुरा लगता था। उन्होंने पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, 'उन दिनों बिजली के खंभे विकेट का काम करते थे। गेंद या तो रबर की होती थी या फिर टेनिस बाल होती थी और उस पर शॉट जमाने के लिए हमें केवल लकड़ी के एक टुकड़े की जरूरत पड़ती थी।' द्रविड़ को दीवार कहा जाता है लेकिन इससे उन्हें शिकवा नहीं है। उन्होंने कहा, 'बाद में लोग यह भी लिख सकते है दीवार में दरार पड़ गई या दीवार ढह गई।'

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