Monday, February 25, 2008

तेंडुलकर को टीम से बाहर करवाना चाहते हैं ?

टीम इंडिया सीनियर बनाम जूनियर के टकराव से बाहर नहीं निकल पा रही है। गांगुली , द्रविड़ और लक्ष्मण पहले ही बाहर हो चुके हैं। लेकिन सचिन तेंडुलकर और सहवाग जैसे खिलाड़ी अभी टीम इंडिया में हैं। सिडनी में खेले गए रोमांचक वन डे मैच में भारत की 18 रनों से हार के बाद टीम के कैप्टन धोनी के बयान से इस तरह के कयास सहज ही लगाए जा सकते हैं। लगता है धोनी किसी के साए में रहने के आदी नहीं हैं और जब तक टीम में उनसे सीनियर एक भी खिलाड़ी रहेगा उनकी छटपटाहट इसी तरह के कमेंट के साथ बाहर आती रहेगी।
धोनी का आरोप है कि टॉप ऑर्डर बैटिंग लाइन अप की गैरजिम्मेदाराना बैटिंग के कारण टीम इंडिया की हार हुई। टॉप ऑर्डर में सचिन , सहवाग और युवराज जैसे सीनियर खिलाड़ी हैं। सचिन लगातार भारतीय बैटिंग की रीढ़ रहे हैं। पिछले 18 साल से भारत की शान रहे सचिन को आज धोनी से सीख लेनी पड़ रही है। कैप्टन को किसी के खिलाफ भी टिप्पणी करने का अधिकार है। सचिन का लीन पीरियड चल रहा है। सीबी सीरीज में अबतक उनका प्रदर्शन औसत ही रहा है। हर खिलाड़ी के जीवन में यह वक्त आता है। सचिन ने टेस्ट सीरीज में शानदार खेल का मुजायरा किया और सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। धोनी के बयान से निश्चित रूप से सचिन आहत हुए होंगे , जिसका जवाब सचिन हमेशा की तरह बैट से ही देंगे। सचिन आलोचना का जवाब बैट से ही देते रहे हैं और धोनी को भी जवाब बैट से ही देंगे। अगले मैच में हो सकता है सचिन का बैट जवाब दे।
आज के युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे धोनी भी लगता है ओवरकॉन्फिडेंस का शिकार हो गए हैं। इसके पहले वाले खेले गए मैच में ऑस्ट्रेलिया के 203 रनों के जवाब में टीम इंडिया ने मात्र 153 रन बनाए , जो टीम में अनुभव की कमी के कारण हारे। यहां तक कि पॉन्टिंग ने भी कहा कि टीम इंडिया में अनुभव की कमी है , नहीं तो वह मैच टीम इंडिया जीत सकती थी। धोनी को खिलाड़ियों पर दोषारोपण करने से बचना चाहिए था क्योंकि 26 को श्रीलंका के खिलाफ निर्णायक मैच होना है। सचिन , सहवाग और युवराज पर छींटाकशी न तो उन्के हित में ही है और न ही टीम इंडिया के।
आज का यूथ भारत के आर्थिक विकास के उस युग में जी रहा है जिसमें वह दुनिया के किसी भी देश को आंख दिखा सकते हैं। धोनी उसी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं , लेकिन भारतीय संस्कारों में सीनियर का सम्मान करना तो आना चाहिए। वह भी यदि सचिन जैसा सीनियर टीम में हो , जिसके सामने महानतम खिलाड़ी भी विनम्र हो जाते है , तो धोनी को तो उनके खिलाफ टिप्पणी से निश्चित रूप से बचना चाहिए था।
जहां तक सहवाग और युवराज की बात है , उनको लगता है धोनी अपना प्रतिद्वंदी समझते हैं। सहवाग और युवराज भारतीय क्रिकेट बाजार के ऑइकॉन हैं और एक बार लीन फेज से बाहर निकलने पर भारतीय जन मानस के लाड़ले बन सकते हैं। जहां तक क्रिकेटिग टैलेंट का सवाल है , धोनी इन दोनों से अपने को बेहतर नहीं कह सकते। टेस्ट सीरीज में खराब बैटिंग और कीपिंग के कारण धोनी को लोगों की आलोचना का शिकार बनना पड़ा था। एक बार धोनी का लीन पीरियड शुरू होगा तो जनता सहवाग या युवराज को कैप्टन बनाने की मांग कर सकती है। इसलिए आज के कॉम्पटीटिव क्रिकेट में इस तरह की उठापटक से बचा नहीं जा सकता। हमने यह मान लिया है कि भारतीय क्रिकेट बाजार में बिक रहा है और उसके खिलाड़ी नीलाम हो रहे हैं , तो उनकी ब्रैंड वैल्यु बरकरार रखने के लिए उनके स्पॉन्सर इस तरह की तिकड़म तो करेंगे ही , जिससे उनका आइकॉन दूसरे आइकॉनों के मुकाबले मार्केट में ज्यादा बड़ा बना रहे। यदि टीम में यह रस्साकशी शुरू हो गई तो क्रिकेट की जगह एक दूसरे की टांग खिंचाई ज्यादा होगी।
लेकिन धोनी या दूसरे खिलाड़ियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि मैदान पर परफॉर्म करने पर ही जनता उनको सिर आंखो पर बिठाती है।

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