Friday, February 29, 2008

चुनाव के त्यौहार में तोहफों की भरमार

नई दिल्ली [अंशुमान तिवारी]। खुल गई!! खुल गई!! खुल गई!! राजनीति का खेल, बजट की डिस्काउंट सेल! चुनाव का त्यौहार, तोहफों की भरमार! अरे, यह बजट किसी रूखे अर्थशास्त्री ने नहीं बनाया है बल्कि चुनाव की तरफ जाती सरकार का दरियादिल वित्त मंत्री दिल खोल कर आपकी झोली भरने आया है।
इस बजट बाजार से कोई खाली हाथ नहीं जाएगा। कुछ किस्मत वालों के हाथ तो एक के साथ एक मुफ्त जैसा भी कुछ लग जाएगा। किसानों के लिए 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफी पैकेज और खेती के लिए ज्यादा पैसा मुफ्त में! नौकरीपेशा को आयकर में मनचाही रियायत और बैंक से पैसा निकालने पर कर से माफी [2009 से] मुफ्त में, उपभोक्ता के लिए सस्ती कार, सस्ता दुपहिया और कई दूसरी चीजें सस्ती होने की संभावना फ्री और अल्पसंख्यकों के लिए ढेर सारी सरकारी मदद। यानी हर रियायतें, सौगातें और चुनाव से पहले की मीठी-मीठी बातें।
अरे भाई यह चुनावी बजट है और इसकी बुनियाद में वोटों का मजबूत गणित है। इसमें वित्त मंत्री और क्या लाते? क्या इस समय वह लोगों को आर्थिक सुधारों का पाठ पढ़ाते? सुधारों को अगली सरकार संभालेगी यह सरकार फिलहाल सत्ता में लौटने की ही राह निकालेगी। इसलिए कोई निराश नहीं गया है, कर्मचारियों को भी यह संकेत मिल ही गया है कि जब भी वेतन आयोग आएगा, सरकार की पूरी तवज्जो पाएगा। इसलिए फिक्र छोड़ कर बाजार के भीतर आइए और चारों ओर फैले तोहफों पर नजर तो दौड़ाइए।
कर्ज के बोझ तले दबकर जहर खा रहे किसान संप्रग के लिए राजनीतिक अपशकुन बन रहे थे और सरकार में इसके निवारण के जतन काफी समय से चल रहे थे। अंतत: वित्त मंत्री 60 हजार करोड़ रुपये का नायाब नुसखा लेकर आए हैं। इसी साल 30 जून तक छोटे किसानों के तो पूरे कर्ज माफ हो जाएंगे और लगे हाथ बड़े किसान भी कुछ मलाई खाएंगे। दिलचस्प है कि बजट की इस सबसे बड़ी सौगात में सरकार के खजाने से फिलहाल कुछ नहीं जाएगा, बैंकिंग उद्योग जरूर इससे कुछ झटका खाएगा।
बहरहाल, बजट की माल में उपलब्ध यह नायाब नुसखा आने वाले चुनाव में वोटों की फसल को हरा बनाने वाला है। इससे अब यह भी इशारा मिल गया है कि दोस्तों, चुनाव शायद इसी साल होने वाला है।
नौकरीपेशा और मध्यवर्ग के लिए इस बजट में माल ही माल है। आय करदाताओं को तो इस माल में उनकी मनचाही चीज मिल गई है, चुनावी बजट में उनकी 1.5 लाख रुपये की कमाई आयकर से मुक्त हो गई है। महिलाओं और बुजुर्गो को तो और ज्यादा फायदा मिल रहा है। साथ ही करदाता को अपने माता पिता की सेवा पर [माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा पर प्रीमियम] कर बचाने नया रास्ता भी खुल रहा है। बैंकों से पैसा निकालने पर अब एक साल और टैक्स देना होगा। एक अप्रैल 2009 से कर भी समाप्त हो जाएगा यानी कि यह झंझट खत्म हो जाएगा।
सिर्फ इतना नहीं हुजूर, जरा उपभोक्ता उत्पादों की तरफ नजर दौड़ाइए, जल्द ही आपको कई उत्पादों की कीमतें घटतीं नजर आएंगी। नैनो का इंतजार कर रहे हैं तो खुश हो जाइए। नैनो सहित तमाम छोटी कारों पर उत्पाद शुल्क एक मुश्त चार फीसदी घट गया है और देखिए कि दुपहिया वाहनों का भी दाम गिर गया है। अगर कार, बाइक नहीं चाहते तो भी खाली हाथ नहीं जाएंगे। वित्त मंत्री ने सभी उत्पादों पर उत्पाद शुल्क दो फीसदी कम कर दिया है यानी कि माल में डिस्काउंट का बैनर टंग गया है।
अगर पढ़ाई-लिखाई में दिलचस्पी है तो माल में जरा भीतर आइए। यहां कई तरह के आफर मौजूद हैं। शिक्षा को बजट बाजार में इस बार ज्यादा जगह मिली है, खासतौर पर छात्रों के लिए तरह-तरह वजीफों की लंबी सूची यहां लगी है। इसके अलावा इस बार सामाजिक क्षेत्र, रोजगार, गरीबी उन्मूलन में कोई नया खास उत्पाद [स्कीम] बाजार में नहीं आया है। इतना जरूर है कि वित्त मंत्री ने मौजूदा पैकिंग [स्कीमों] में ठीक-ठाक माल [आवंटन] बढ़ाया है। बुनियादी ढाचे का खाना खाली है और निवेश व बचत को बढ़ावा देने पर माल के संचालकों ने इस बार निगाह नहीं डाली है।
चुनावी बाजार में उद्योगों के लिए जरूर कुछ खास नहीं है लेकिन सेवा क्षेत्र के हाथ कुछ लग गया है। वित्त मंत्री सेवा कर छूट की सीमा बढ़ाएंगे यानी करीब 65 हजार छोटी सेवा कंपनियां कर चुकाने की झंझट से मुक्त हो जाएंगी। बजट होटल और अस्पताल खोलने पर पांच साल तक आयकर से छूट मिलेगी। जाहिर है, इन क्षेत्रों में नए निवेश की राह खुलेगी।
घाटे पर काबू और भरपूर राजस्व के साथ इस साल खजाने का गणित भी ठीक ठाक ही रहा है। इसलिए वित्त मंत्री को सौगातें बांटने में जरा भी नहीं सोचना पड़ा है। रियायतों की रौनक से यह बाजार जमकर गुलजार है और शायद यही वक्त की दरकार है। वैसे हो सकता है कि किसी को इस माल की किसी पैकिंग में उम्मीदों से कम माल मिले, अगर ऐसा हो तो गम न मनाइए, यह शेर पढि़ए और भूल जाइए 'सियासत की अपनी अलग इक जबां है, लिखा हो जो इकरार तो इनकार पढ़ना।'

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

चार साल इस सरकार ने लोगो का खुन पीया हे पानी की तरह से, किसानॊ की जमीन घोसी,कया लोग सब भुल जाये गे???