Thursday, February 28, 2008

क्रिकेट में छींटाकशी का पर्याय रहा है आस्ट्रेलिया

नई दिल्ली। भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह को जंगली खरपतवार कहकर मैथ्यू हेडन ने भद्रजनों के खेल क्रिकेट को अपनी छींटाकशी से भद्दा करने की आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की कोशिशों के किस्सों में एक नया अध्याय जोड़ दिया।
असल में क्रिकेट में छींटाकशी शब्द की शुरुआत आस्ट्रेलिया ने ही की। वह शुरू से ही क्रिकेट में छींटाकशी का बादशाह रहा है तथा भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान एंड्रयू सायमंड्स और ब्रैड हॉग की हरकतों तथा अब हेडन की टिप्पणियों से साफ हो गया कि उसके खिलाड़ी अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाले है। क्रिकेट को कभी भद्रजनों का खेल कहा जाता था लेकिन आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने इससे छींटाकशी से जोड़ दिया। आस्ट्रेलियाई इसे खेल का हिस्सा मानते है लेकिन भारतीय बोर्ड ने छींटाकशी पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की है।
पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने छींटाकशी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करने की वकालत की। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इसे कुछ अधिक तवज्जो दी जा रही है। खिलाड़ियों, मीडिया और सभी को इससे बचना चाहिए।' एक अन्य पूर्व टेस्ट क्रिकेटर अजय जडेजा ने कहा, 'छींटाकशी को भद्रता की सीमा पार नहीं करनी चाहिए। खिलाड़ियों को छींटाकशी के बजाय अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए।' आस्ट्रेलिया में कोई भी क्रिकेटर अपने खिलाड़ियों को ऐसी सीख नहीं दे रहा है। असल में छींटाकशी विरोधी टीम पर दबाव बनाने की उनकी रणनीति का हिस्सा रहा है।
पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान इयान चैपल को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में छींटाकशी यानी स्लेजिंग का जनक माना जाता है लेकिन स्वयं चैपल के अनुसार इसकी शुरुआत 1964-65 में शैफील्ड शील्ड सत्र के दौरान एडिलेड में हुई थी। भारतीयों का छींटाकशी से कोई लेना देना नहीं रहा। भारतीय क्रिकेट में शुरू से ही व्यक्तिगत टिप्पणियों को अस्वीकार्य और गंवारपन की निशानी माना जाता रहा है। भारत में जब पहली बार क्रिकेट की शुरुआत हुई तो साफ-सुथरे खेल को महत्व दिया गया जिस पर भारतीय आज भी चलते है और इसलिए उन्हें आस्ट्रेलियाई छींटाकशी रास नहीं आती।
आस्ट्रेलियाई असल में अब भारतीयों को निशाना बना रहे है। पहले उनके निशाने पर इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका या वेस्टइंडीज के खिलाड़ी हुआ करते थे। ग्लेन मैक्ग्रा को बेहतरीन गेंदबाज माना जाता है लेकिन वेस्टइंडीज के रामनरेश सरवन से लेकर जिम्बाब्वे के इडो ब्रैंडिस पर छींटाकशी करने के कारण उन्हें अपनी पत्नी के खिलाफ अपशब्द सुनने पड़े जिससे वह भड़क भी गए थे। आस्ट्रेलियाई विकेटकीपरों ने छींटाकशी में अहम भूमिका निभाई थी। एक बार जब इयान बॉथम क्रीज पर बल्लेबाजी के लिए आए तो रोडने मार्श ने कहा, 'तुम्हारी पत्नी और मेरे बच्चे कैसे है।' बाथम ने हालांकि करारा जवाब दिया पत्नी तो अच्छी है लेकिन बच्चे मंदबुद्धि है।
एक अन्य विकेटकीपर इयान हीली के निशाने पर अक्सर श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा रहा करते थे। एक मैच में जब रणतुंगा ने रनर लेना चाहा तो हीली ने कहा, 'तुम्हारा वजन बहुत अधिक है इसलिए तुम्हें रनर नहीं मिलेगा अनफिट, मोटे।' आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज मर्व ह्यूज भी छींटाकशी में माहिर थे तथा रोबिन स्मिथ, विवियन रिच‌र्ड्स और जावेद मियांदाद से उलझने के उनके किस्से जगजाहिर है। आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने 1993 में एक मैच में न्यूजीलैंड के क्रिस केन्यर्स को 'च् च् च्' करके चिढ़ाया था क्योंकि कुछ दिन पहले उनकी बहन की दुर्घटना में मौत हो गई थी।
व्यक्तिगत छींटाकशी के इस चलन में शेन वार्न भी पीछे नहीं रहे। उनके निशाने पर दक्षिण अफ्रीका के डेरल कलिनन और रणतुंगा रहा करते थे लेकिन एक बार उन्होंने कथित तौर पर इंग्लैंड के रोनी ईरानी की मां को भद्दी गाली दी थी। वर्तमान सीरीज से पहले भी आस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों ने भारतीयों पर छींटाकशी के तीर छोड़े है। एक बार एक मैच में 12वें खिलाड़ी ने रवि शास्त्री से कहा था, 'यदि तुम अपनी क्रीज छोड़ोगे तो मैं तुम्हारा सिर तोड़ दूंगा।' शास्त्री भी हालांकि चुप नहीं बैठे थे लेकिन उन्होंने भद्रता से जवाब दिया था 'यदि तुम बल्लेबाजी कर सकते तो फिर 12वें खिलाड़ी नहीं होते।'
पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने एक बार तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का 'बुरा लड़का' कहा था। असल में गांगुली के टॉस के लिए देर से पहुंचने से वॉ काफी खीझे हुए थे।

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