बेंगलुरु। अपने समग्र खेल के लिए “मिस्टर क्रिकेट” कहे जाने वाले माइक हसी के बेहतरीन शतक (146 रन) की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने पहले क्रिकेट टेस्ट के दूसरे दिन आज यहां पहली पारी में अच्छा स्कोर खड़ा कर लिया, लेकिन भारतीय सलामी जोडी ने भी मेहमानों को मुंहतोड जवाब देने की आधारशिला तैयार कर दी है।
भारत ने बारिश की वजह से नौ ओवर पहले ही दिन का खेल रोके जाने तक, बिना किसी नुकसान के 68 रन बना लिये थे। उस समय आक्रामक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग 55 गेंदों पर सात चौकों की मदद से 43 रन, और गौतम गंभीर 20 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे।इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी चायकाल के विश्राम के बाद 430 रन पर समाप्त हो गयी। इसमें भारतीय तेज गेंदबाजों जहीर खान और इशांत शर्मा की जोड़ी का अहम योगदान रहा जिन्होंने क्रमशः पांच और चार विकेट लिये।ऑस्ट्रेलिया की तरफ से बाएं हाथ के आकर्षक बल्लेबाज हसी ने सबसे अहम पारी खेली। कल 46 रन बनाकर खेल रहे हसी ने आज पहले ब्रैड हैडिन और फिर ब्रेट ली के साथ दो महत्वपूर्ण साझेदारियां करते हुये ऑस्ट्रेलिया को 400 के पार पहुंचा दिया। इस दौरान उन्होंने भारतीय जमीन पर अपना पहला और कुल नौंवा शतक भी बनाया।चायकाल के समय ऑस्ट्रेलियाई पारी 450 के स्कोर की तरफ बढती हुई दिख रही थी लेकिन जहीर ने एक घातक स्पेल में उसके अंतिम तीन विकेट महज नौ रन के अंतराल पर लेकर कंगारूओं को 430 रन पर ही रोक दिया।जहीर ने 5.5 ओवरों के इस स्पेल में 15 रन पर तीन विकेट झटकते हुये मेहमानों की पारी समेट दी। उन्होंने इस स्पेल में ली (27 रन) मिशेल जानसन (01) और हसी (146) को पैवेलियन का रास्ता दिखाया। वैसे उन्होंने पारी में 9।1रन देकर कुल पांच विकेट हासिल किये।लेकिन आज के खेल में सबसे बेहतरीन गेंदबाजी 20 साल के लंबे कद के गेंदबाज इशांत ने की। उन्होंने सुबह के तीसरे ओवर में ही शेन वाटसन (02 रन) को एक खूबसूरत गेंद पर बोल्ड करके भारत को पांचवी सफलता दिलायी।मगर इसके बाद हसी और विकेटकीपर बल्लेबाज हैडिन.33. ने छठे विकेट के लिए 91 रन जोडकर ऑस्ट्रेलिया को 350 तक पहुंचा दिया। लेकिन लंच के थोडी देर बाद हैडिन इशांत की एक स्लोअर गेंद पर गच्चा खा गये और मिड आन पर खडे वीवीएस लक्ष्मण ने सिर के ऊपर उनका शानदार कैच लपक लिया।इसके थोडी ही देर बाद इशांत ने अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे कैमरून व्हाइट (06) को भी कैच आउट कराते हुये अपनी चौथी कामयाबी हासिल कर ली।इशांत को चिन्नास्वामी स्टेडियम कुछ अधिक ही रास आता है और उन्होंने 30 ओवरों में 77 रन पर चार महत्वपूर्ण विकेट लेकर इसे बात को एक बार फिर साबित कर दिया। उन्होंने पिछले साल पाकिस्तान के खिलाफ भी यहां पर 118 रन देकर पांच विकेट झटके थे।भारत को इस मैच में अपने स्पिनरों से काफी उम्मीदें हैं लेकिन पहली पारी में तो उनका जादू नहीं चल पाया। कप्तान अनिल कुंबले 43 ओवरों में 129 रन खर्च करने के बावजूद एक भी कामयाबी नहीं हासिल कर सके जबकि आफ स्पिनर हरभजन सिंह को एक विकेट के लिए 103 रन लुटाने पडे।बहरहाल भारतीय ओपनरों ने ऑस्ट्रेलिया के तूफानी गेंदबाज ब्रेट ली और लगातार सटीक गेंदबाजी करने में माहिर स्टुअर्ट क्लार्क का बखूबी सामना करते हुये टीम इंडिया को शानदार शुरूआत दिला दी। तीसरे सीमर मिशेल जानसन का तो इन दोनों ओपनरों ने दिल खोलकर स्वागत किया।खास तौर पर सहवाग अपने चिर- परिचित अंदाज में कुछ अधिक ही निर्मम दिखे। उन्होंने मैदान के चारों ओर सात चौके जमाकर कंगारूओं को यह एहसास करा दिया कि उनके लिए आने वाला कल काफी मुश्किल हो सकता है।
Friday, October 10, 2008
Thursday, October 9, 2008
रिकी पोंटिंग का सूखा समाप्त
भारतीय धरती पर रन के सूखे को समाप्त करते हुए रिकी पोंटिंग ने मेजबान टीम के गेंदबाजी तिलिस्म को तोड़कर बार्डर-गावस्कर ट्राफी के पहले टेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया को बेहतरीन स्थिति में पहुंचा दिया है। दिन का खेल समाप्त होने तक आस्ट्रेलिया ने पहली पारी में चार विकेट खोकर 254 रन बना लिए थे। माइक हसी 46 रन बनाकर क्रीज पर मौजूद थे।
आस्ट्रेलिया की टीम ने बेंगलूरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि मैच की तीसरी गेंद पर ही जहीर खान ने मैथ्यू हेडन को विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के हाथों कैच कराकर कंगारूओं के अच्छी शुरुआत पाने के अरमानों पर पानी फेर दिया। वह खाता खोलने में नाकाम रहे। अब तक भारत की धरती पर कुछ खास नहीं कर सके कप्तान रिकी पोंटिंग और साइमन काटिच ने मोर्चा संभालते हुए भारतीय गेंदबाजों को विकेट के जश्न से दूर रखा।
सबसे पहले पोंटिंग ने अपना अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने 114 गेंद खेलकर सात चौकों की मदद से पचासा ठोंका। उसके बाद काटिच ने भी 122 गेंद पर अपना अर्धशतक पूरा किया। इन दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को कोई मौका नहीं देते हुए दूसरे विकेट के लिए 166 रन जोड़े। इस जोड़ी को ईशांत शर्मा ने तोड़ा। ईशांत की बाहर की ओर आती गेंद पर काटिच बल्ला अड़ा बैठे जिसे धोनी ने अपने दस्ताने में लेने में कोई गलती नहीं की। काटिच ने 149 गेंद पर सात चौकों के बलबूते 66 रन की पारी खेली।
दूसरे छोर से पोंटिंग ने लगातार रन बनाने जारी रखे। उन्होंने भारतीय धरती पर पहला टेस्ट शतक जमाया। हालांकि इस बार भी पोंटिंग को पुराने प्रतिद्वंद्वी हरभजन सिंह ने पगबाधा आउट किया। पोंटिंग ने 243 गेंद पर 13 चौकों की मदद से 123 रन बनाए।
भारत इस मैच में दो तेज व दो स्पिन गेंदबाजों के साथ उतरा है जबकि आस्ट्रेलिया ने तीन तेज गेंदबाज को ही प्राथमिकता दी है। वहीं माइकल क्लार्क, कैमरून व्हाइट और शेन वॉटसन आलराउंडर की भूमिका निभाएंगे।
आस्ट्रेलिया की टीम ने बेंगलूरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि मैच की तीसरी गेंद पर ही जहीर खान ने मैथ्यू हेडन को विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के हाथों कैच कराकर कंगारूओं के अच्छी शुरुआत पाने के अरमानों पर पानी फेर दिया। वह खाता खोलने में नाकाम रहे। अब तक भारत की धरती पर कुछ खास नहीं कर सके कप्तान रिकी पोंटिंग और साइमन काटिच ने मोर्चा संभालते हुए भारतीय गेंदबाजों को विकेट के जश्न से दूर रखा।
सबसे पहले पोंटिंग ने अपना अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने 114 गेंद खेलकर सात चौकों की मदद से पचासा ठोंका। उसके बाद काटिच ने भी 122 गेंद पर अपना अर्धशतक पूरा किया। इन दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को कोई मौका नहीं देते हुए दूसरे विकेट के लिए 166 रन जोड़े। इस जोड़ी को ईशांत शर्मा ने तोड़ा। ईशांत की बाहर की ओर आती गेंद पर काटिच बल्ला अड़ा बैठे जिसे धोनी ने अपने दस्ताने में लेने में कोई गलती नहीं की। काटिच ने 149 गेंद पर सात चौकों के बलबूते 66 रन की पारी खेली।
दूसरे छोर से पोंटिंग ने लगातार रन बनाने जारी रखे। उन्होंने भारतीय धरती पर पहला टेस्ट शतक जमाया। हालांकि इस बार भी पोंटिंग को पुराने प्रतिद्वंद्वी हरभजन सिंह ने पगबाधा आउट किया। पोंटिंग ने 243 गेंद पर 13 चौकों की मदद से 123 रन बनाए।
भारत इस मैच में दो तेज व दो स्पिन गेंदबाजों के साथ उतरा है जबकि आस्ट्रेलिया ने तीन तेज गेंदबाज को ही प्राथमिकता दी है। वहीं माइकल क्लार्क, कैमरून व्हाइट और शेन वॉटसन आलराउंडर की भूमिका निभाएंगे।
कब तक बनता बलि का बकरा
दिलीप वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली पूर्व चयन समिति को आड़े हाथों लेते हुए सौरव गांगुली ने कहा है कि उन्हें हर बार बलि का बकरा बनाया गया जबकि दूसरों को बख्शा जाता रहा और उन्होंने इसके बाद शर्मिदगी से बचने के लिए संन्यास का फैसला लिया।
इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का फैसला लेने वाले गांगुली ने कहा, इस तरह खेलने का कोई फायदा नहीं है। मैं चयनकर्ताओं की दया पर खेलने के लिए तैयार नहीं हूं। वे आज आपको चुनेंगे और कल बाहर कर देंगे। मैं हर बार बलि का बकरा क्यों बनूं। यह स्वीकार कर पाना मुश्किल है। उन्होंने एक बांग्ला दैनिक को दिए साक्षात्कार में कहा, यदि आपके सिर पर तलवार लटक रही हो तो आप कितना बर्दाश्त कर सकते हैं। वह भी 450 मैच खेलने के बाद। मैंने सिर्फ एक सीरीज में खराब खेला लेकिन दूसरों को बाहर नहीं किया गया। मैंने वापसी के बाद सबसे ज्यादा रन बनाए हैं।
चयनकर्ताओं के व्यवहार से निराश गांगुली ने कहा, मैं और कितना खेलता। शायद 2009 तक। शायद सात और टेस्ट। इसके लिए मैं और अपमान झेलने को तैयार नहीं था। पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा उन्हें ईरानी कप के लिए शेष भारत की टीम से बाहर किया जाना ताबूत में आखिरी कील थी और उन्हें लगा कि अब बेइज्जती की इन्तहां हो गई। उन्होंने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ईरानी टीम से बाहर हो जाऊंगा। मैं गुस्से के कारण एक महीने तक सो नहीं सका। यदि नई चयन समिति तीन साल पहले आई होती तो हालात दीगर होते।
सुनील गावस्कर के इस बयान पर कि वह और वीवीएस लक्ष्मण हमेशा दबाव में रहे हैं गांगुली ने कहा, भारतीय क्रिकेट में सब कुछ होता है। जब ग्रेग चैपल ने मुझे बाहर किया तो मेरी जगह टी पी सिंह को चुना। वह अब कहां है। कुछ खिलाडि़यों ने पिछली तीन सीरीजों में रन नहीं बनाए हैं कुछ ने पिछले एक साल से रन नहीं बनाए हैं। कुछ खिलाड़ी इतनी बार अपनी हेयर स्टाइल बदल चुके हैं जितने उन्होंने रन नहीं बनाए हैं। मुझे वापसी के बाद सर्वाधिक रन बनाने के बावजूद बाहर किया गया।
ईरानी ट्राफी से बाहर होने से गांगुली इस कदर आहत हैं कि उन्हें यह चैपल से मतभेद के बाद टीम से निकाले जाने से भी अधिक दर्दनाक लगा। उन्होंने कहा, ईरानी टीम से बाहर होना अधिक दुखदायी था। मुझे लगा कि यह अंत है। अपने 16 बरस के अंतरराष्ट्रीय करियर में तमाम उतार-चढ़ावों का सामना करने के बावजूद गांगुली संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, मैंने 109 टेस्ट और 300 से अधिक वनडे खेले। मैं देश में सर्वाधिक रन बनाने वाला चौथा बल्लेबाज हूं। टेस्ट और वनडे मिलाकर मेरे नाम 18,251 रन हैं जो दुनिया में नौवें स्थान पर है। मैं टीम को विश्व कप फाइनल तक ले गया आस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर हराया, पाकिस्तान में सीरीज जीती। कुल 21 टेस्ट जीते। लेकिन हर इच्छा तो पूरी नहीं हो सकती।
बंगाल के इस कद्दावर खिलाड़ी ने कहा, मैंने काफी सोच समझकर संन्यास का फैसला लिया है। मैंने इस पर काफी विचार किया। सब कुछ सोचने के बाद ही मैंने यह फैसला लिया। मुझे लगा कि यह संन्यास लेने का सही समय है। मैं आस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले ही यह मसला खत्म करना चाहता था। मुझे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। चयनकर्ताओं ने कुछ कहा लेकिन किया कुछ और। यह पूछने पर कि भारत के लिए दोबारा नहीं खेल पाने से क्या वह दुखी हैं उन्होंने कहा, मैं भी इंसान हूं। क्रिकेट मेरे लिए जुनून है। किसी को भी बुरा लगेगा। वैसे यह इतना मुश्किल नहीं है जितना मैंने सोचा था। मुझे लग रहा है कि भारी बोझ हट गया है। अब मैं टीम को जीतते देखकर अपने करियर का अंत करना चाहता हूं।
इस सप्ताह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का फैसला लेने वाले गांगुली ने कहा, इस तरह खेलने का कोई फायदा नहीं है। मैं चयनकर्ताओं की दया पर खेलने के लिए तैयार नहीं हूं। वे आज आपको चुनेंगे और कल बाहर कर देंगे। मैं हर बार बलि का बकरा क्यों बनूं। यह स्वीकार कर पाना मुश्किल है। उन्होंने एक बांग्ला दैनिक को दिए साक्षात्कार में कहा, यदि आपके सिर पर तलवार लटक रही हो तो आप कितना बर्दाश्त कर सकते हैं। वह भी 450 मैच खेलने के बाद। मैंने सिर्फ एक सीरीज में खराब खेला लेकिन दूसरों को बाहर नहीं किया गया। मैंने वापसी के बाद सबसे ज्यादा रन बनाए हैं।
चयनकर्ताओं के व्यवहार से निराश गांगुली ने कहा, मैं और कितना खेलता। शायद 2009 तक। शायद सात और टेस्ट। इसके लिए मैं और अपमान झेलने को तैयार नहीं था। पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा, वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा उन्हें ईरानी कप के लिए शेष भारत की टीम से बाहर किया जाना ताबूत में आखिरी कील थी और उन्हें लगा कि अब बेइज्जती की इन्तहां हो गई। उन्होंने कहा, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ईरानी टीम से बाहर हो जाऊंगा। मैं गुस्से के कारण एक महीने तक सो नहीं सका। यदि नई चयन समिति तीन साल पहले आई होती तो हालात दीगर होते।
सुनील गावस्कर के इस बयान पर कि वह और वीवीएस लक्ष्मण हमेशा दबाव में रहे हैं गांगुली ने कहा, भारतीय क्रिकेट में सब कुछ होता है। जब ग्रेग चैपल ने मुझे बाहर किया तो मेरी जगह टी पी सिंह को चुना। वह अब कहां है। कुछ खिलाडि़यों ने पिछली तीन सीरीजों में रन नहीं बनाए हैं कुछ ने पिछले एक साल से रन नहीं बनाए हैं। कुछ खिलाड़ी इतनी बार अपनी हेयर स्टाइल बदल चुके हैं जितने उन्होंने रन नहीं बनाए हैं। मुझे वापसी के बाद सर्वाधिक रन बनाने के बावजूद बाहर किया गया।
ईरानी ट्राफी से बाहर होने से गांगुली इस कदर आहत हैं कि उन्हें यह चैपल से मतभेद के बाद टीम से निकाले जाने से भी अधिक दर्दनाक लगा। उन्होंने कहा, ईरानी टीम से बाहर होना अधिक दुखदायी था। मुझे लगा कि यह अंत है। अपने 16 बरस के अंतरराष्ट्रीय करियर में तमाम उतार-चढ़ावों का सामना करने के बावजूद गांगुली संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा, मैंने 109 टेस्ट और 300 से अधिक वनडे खेले। मैं देश में सर्वाधिक रन बनाने वाला चौथा बल्लेबाज हूं। टेस्ट और वनडे मिलाकर मेरे नाम 18,251 रन हैं जो दुनिया में नौवें स्थान पर है। मैं टीम को विश्व कप फाइनल तक ले गया आस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर हराया, पाकिस्तान में सीरीज जीती। कुल 21 टेस्ट जीते। लेकिन हर इच्छा तो पूरी नहीं हो सकती।
बंगाल के इस कद्दावर खिलाड़ी ने कहा, मैंने काफी सोच समझकर संन्यास का फैसला लिया है। मैंने इस पर काफी विचार किया। सब कुछ सोचने के बाद ही मैंने यह फैसला लिया। मुझे लगा कि यह संन्यास लेने का सही समय है। मैं आस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज शुरू होने से पहले ही यह मसला खत्म करना चाहता था। मुझे लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। चयनकर्ताओं ने कुछ कहा लेकिन किया कुछ और। यह पूछने पर कि भारत के लिए दोबारा नहीं खेल पाने से क्या वह दुखी हैं उन्होंने कहा, मैं भी इंसान हूं। क्रिकेट मेरे लिए जुनून है। किसी को भी बुरा लगेगा। वैसे यह इतना मुश्किल नहीं है जितना मैंने सोचा था। मुझे लग रहा है कि भारी बोझ हट गया है। अब मैं टीम को जीतते देखकर अपने करियर का अंत करना चाहता हूं।
Wednesday, October 8, 2008
'प्रिंस आफ कोलकाता' तुम्हे सलाम
भारतीय क्रिकेट को नई बुलंदियों तक पहुंचाने में महती भूमिका निभाने वाले सफलतम कप्तानों में से एक सौरव गांगुली ने आखिरकार अपने महाराज का ताज उतारने का फैसला कर ही लिया। हालांकि इसकी इसकी वजह भी कुछ हद तक जायज है।
इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज एवं प्रसिद्ध क्रिकेट कमेंटटर ज्याफ बायकाट ने ऐसे ही उन्हें 'प्रिंस आफ कोलकाता' और 'बेस्ट टाइमर आफ द बाल' की उपाधि नहीं दी थी। वह सही मायने में इसके हकदार हैं। बंगाल टाइगर, दादा और कमबैक मैन जैसे कई नामों से मशहूर गांगुली को टीम से कई बार बाहर निकाला गया। उनसे कप्तानी भी छीनी गई, लेकिन हर बार उन्होंने जोरदार वापसी कर आलोचकों और भारतीय चयनकर्ताओं को करारा जवाब दिया। अपने नेतृत्व में उन्होंने कई अहम क्रिकेट सीरिज में भारत को जीत दिलाई। रायल बंगाल टाइगर रीयल फाइटर की उपाधि से भी विभूषित रहें हैं।
ंिंवश्व क्रिकेट में शायद ही कोई ऐसा महान खिलाड़ी होगा जिसने एक नहीं तीन बार अपने प्रदर्शन के बल पर राष्ट्रीय में जगह बनाने में सफलता हासिल की हो।
चाहे जितना भी कुशल तैराक क्यों न हो लंबे समय तक धारा के विपरीत नहीं तैर सकता है। एक समय ऐसा आता जब उसका हौसला और उसकी हिम्मत जवाब देने लगती है। ठीक ऐसा ही महाराज के साथ भी हुआ है।
पिछले तीन वर्षो से वह लगातार राष्ट्रीय चयनकर्ताओं की विरोधी भावनाओं से संघर्ष कर रहे थे। अंतत: उन्होंने स्वयं का सम्मान बचाने के लिए क्रिकेट को अलविदा कह डाला। यह देखना रुचिकर होगा कि भारतीय क्रिकेट के इस महाराज का 'राज' अब कौन संभालेगा, क्योंकि कहने और करने में बहुत फर्क होता है? आगामी आस्ट्रेलिया सीरीज के बाद सौरव ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को आखिरी सलाम कहने की घोषणा कर दी है।
आज सभी क्रिकेट प्रेमियों एवं सौरव के प्रशंसकों की आँखों में वह नजारा अवश्य तैर गया होगा जब इस बंगाल टाइगर ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लार्ड्स मैदान की बालकनी में इंग्लैंड के खिलाफ नेटवेस्ट ट्राफी जीतने के बाद अपनी टी शर्ट उतारकर हवा में लहराई थी। यह दर्शाता है कि सौरव कितने शातिर दिमाग कप्तान थे।
उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया था। ऐसा करके उन्होंने इंग्लैंड के हरफनमौला खिलाड़ी एंड्रयू फ्लिंटाफ को जवाब दिया था। जिन्होंने 2002 नेटवेस्ट ट्राफी के पहले भारतीय दौरे में वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए आखिरी वनडे मैच में भारत के खिलाफ जीत के बाद अपनी टी शर्ट उतारकर मैदान के अंदर ही लहरानी शुरू कर दी थी।
आस्ट्रेलिया के महान स्पिनर शेन वार्न भी सौरव की इसी आक्रामक अदा के कायल हैं। निश्चित रूप से इस फाइटर खिलाड़ी के योगदान को भुलाना भारतीय क्रिकेट और क्रिकेट प्रेमियों के लिए बहुत मुश्किल होगा। विश्व चैंपियन आस्ट्रेलिया को 2001 की सीरीज में सौरव के नेतृत्व में ही टीम इंडिया ने 2-1 से शिकस्त देकर उन्हें करारा झटका दिया था। सौरव ने ही स्टीव वा की टीम का मानमर्दन करके भारतीय क्रिकेट को नया गौरव प्रदान किया था।
बाएं हाथ का यह बल्लेबाज मैदान के अंदर और बाहर दोनों तरह के संघर्ष में माहिर था। इसी कारण आस्ट्रेलियाई इससे सबसे अधिक चिढ़ते थे और चिढ़ते हैं। मानसिक द्वंद्व में भी सौरव ने स्टीव वा एंड कंपनी को मात देकर उन्हें घुटनों के बल लाने की शुरुआत 2001 में ही कर दी थी। भारतीय क्रिकेटरों की मानसिक दशा और दिशा बदलने में भी इस महान योद्धा का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह सौरव का ही नेतृत्व बल था जिसने भारतीय खिलाड़ियों के दिमाग में यह बैठा दिया कि आस्ट्रेलियाई अजेय नहीं हैं।
अब देखना यह है कि युवाओं को मौका देने के नाम पर सौरव पर दबाव वाले किसे उसका उत्ताराधिकारी बनाते हैं?
सौरव ने हाल में में कहा था कि उनमें दो साल की क्रिकेट अभी बाकी है, लेकिन सच्चाई यही है कि भारत के इस सबसे सफल कप्तान ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। कोलकाता वासियों के लिए मंगलवार का दिन शुभ नहीं रहा। एक ओर टाटा मोटर्स की कार नैनो का प्लांट बंगाल से हटकर गुजरात में चला गया, दूसरी ओर बंगाल टाइगर के इस फैसले ने बंगाल को निराशा के सागर में डुबो दिया। पिछले एक दशक से भारतीय क्रिकेट को नित नए आयाम देने वाले इस जुझारू खिलाड़ी ने कहा कि उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों को अपने फैसले के बारे में बता दिया था कि यह मेरी अंतिम सीरीज होगी और मैं इसका अंत जीत के साथ करना चाहूंगा। हालांकि सौरव अपने संन्यास को लेकर भारी दबाव से गुजर रहे थे।
Tuesday, October 7, 2008
युवराज न ठोकी ताल
नई दिल्ली। विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह को उनके खराब फॉर्म के कारण चयनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के लिए पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया था। लेकिन उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ड्रॉ समाप्त हुए चार दिवसीय अभ्यास मैच में तूफानी शतक ठोककर भारतीय टीम के वरिष्ठ खिलाड़ियों पर दबाव बढ़ा दिया।बोर्ड अध्यक्ष एकादश के कप्तान युवराज ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रविवार को हैदराबाद में ड्रॉ समाप्त हुए अभ्यास मैच में दूसरी पारी मात्र 143 गेंदों पर सात चौकों और सात छक्कों की मदद से 113 रन ठोक डाले थे। युवराज ने इस जोरदार पारी से नई राष्ट्रीय चयन समिति के सामने अपनी दोवदारी पेश कर दी है।
युवराज का हालांकि यह थोड़ा दुर्भाग्य रहा कि यह अभ्यास मैच शुरु होने से एक दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम की घोषणा कर दी गई थी।टीम में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को उनकी हाल के खराब फॉर्म के बावजूद बरकरार रखा गया जबकि घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाने वाले सुब्रमण्यम बद्रीनाथ को टेस्ट टीम में आने का मौका दिया गया।गांगुली को टीम में चुने जाने के बाद बेंगलुरु में अनुकूलन शिविर में शामिल करने के बजाय उन्हें मैच अभ्यास के लिए चेन्नई में न्यूजीलैंड (ए) के खिलाफ मैच में भारत (ए) की तरफ से उतारा गया। लेकिन वे दोनों पारियों में असफल रहे।पहली पारी में वे 14 रन बनाकर रनआउट हो गए और दूसरी पारी में छह रन बनाकर कैच आउट हो गए।
युवराज का हालांकि यह थोड़ा दुर्भाग्य रहा कि यह अभ्यास मैच शुरु होने से एक दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम की घोषणा कर दी गई थी।टीम में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को उनकी हाल के खराब फॉर्म के बावजूद बरकरार रखा गया जबकि घरेलू क्रिकेट में ढेरों रन बनाने वाले सुब्रमण्यम बद्रीनाथ को टेस्ट टीम में आने का मौका दिया गया।गांगुली को टीम में चुने जाने के बाद बेंगलुरु में अनुकूलन शिविर में शामिल करने के बजाय उन्हें मैच अभ्यास के लिए चेन्नई में न्यूजीलैंड (ए) के खिलाफ मैच में भारत (ए) की तरफ से उतारा गया। लेकिन वे दोनों पारियों में असफल रहे।पहली पारी में वे 14 रन बनाकर रनआउट हो गए और दूसरी पारी में छह रन बनाकर कैच आउट हो गए।
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