नई दिल्ली। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा का दबाव और तनाव झेलने में लड़कियों की अपेक्षा लड़के कम सक्षम होते हैं और इसलिए भी उनमें आत्महत्या करने के मामले लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा देखने को मिलते हैं।
तनाव झेलने की कारणों का खुलासा करते हुए ‘मैक्स हेल्थकेयर’ के ‘मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यावाहारिक विज्ञान विभाग’ के अध्यक्ष समीर पारेख ने आईएएनएस को बताया कि, “युवा लड़कों में आत्महत्या की प्रवृति लड़कियों की अपेक्षा तीन गुना अधिक होती है, इसका कारण उनका अतिसंवेदनशील होना है।”
समीर पारेख ने बताया कि किशोरों की मृत्यु राष्ट्र के लिए एक आपदा के समान है, जिसे रोकने के लिए उपाय बहुत जरुरी है। हमें एक ऐसे समाज बनाने की आवश्यकता है जो गुणों पर आधारित समाज हो न कि परिणाम पर आधारित।
उन्होंने यह भी माना कि युवाओं के बीच आत्महत्या करने का सबसे बड़ा कारण उनका परीक्षा के परिणामों को लेकर भयभीत होना है। परीक्षा के नतीजों को लेकर अवसाद में आकर ही वह आत्महत्या के लिए प्रेरित होते हैं।
गौरतलब है कि लड़कियां अपने मुखर स्वभाव के कारण तनावों को परिवार और दोस्तों के बीच बांट लेती हैं लेकिन लड़के अंतर्मुखी स्वभाव होने की वजह से तनावों से भीतर ही भीतर लड़ते रहते हैं। अंतत: एक सामाजिक दबाव के चलते वह आत्महत्या करने से भी नहीं चूकते हैं
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